Ranchi : पंचायती राज संस्थाओं को 15वें वित्त आयोग से उपलब्ध करायी गयी राशि के खर्च में तेजी लाने को कहा गया है. झारखंड सरकार पंचायती राज विभाग की ओर से सभी उपायुक्तों को लिखा पत्र में कहा गया है कि सभी उप विकास आयुक्त के साथ अनुदान मद की राशि व्यय की समीक्षा 28 और 29 सितंबर को हुई थी. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी 30 सितंबर को उपायुक्तों की बैठक में 15वें वित्त आयोग के कार्यों की समीक्षा की थी. समीक्षा बैठक में में कहा गया था बेहतर कार्य नहीं करने वाले पंचायती राज्य संस्थानों को चिह्नित कर झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग ने आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
पंचायती राज विभाग द्वारा जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि 15वें वित्त आयोग की मद से यदि योजना शुरू नहीं हुई है तो इसके लिये जिला आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें. साथ ही जिले के खराब प्रदर्शन करने वाली पंचायती राज संस्थाओं का जिलास्तर में गहन समीक्षा और निरीक्षण करने को कहा गया है.
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खर्च का ब्यौरा मांगा जा रहा जिलों से
झारखंड सरकार पंचायती राज विभाग द्वारा 15वें वित्त आयोग से उपलब्ध करायी गयी राशि का खर्च का ब्यौरा जिलों से मांगा जा रहा है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए 15वें वित्त आयोग की राशि अब खर्च करने के लिए विभाग द्वारा विलंब से पुरानी गाइडलाइन में कुछ और चीजों को जोड़ते हुए जिलों को अवगत कराया गया था. वहीं बरसात के समय कार्य की प्रगति अमूमन धीमी रहती है.
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422 करोड़ रुपये जून में जारी किये गये थे
केंद्र सरकार ने 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत 422 करोड़ रुपये जून में जारी किए गए हैं. इससे लगभग 300 करोड़ रुपये जिलों को उपलब्ध कराया गया. जिलों को योजना के तहत खर्च करने का निर्देश दिया गया. इस मद से क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं, इसके लिए गाइडलाइन भी जारी की गयी थी. गाइडलाइन के तहत तालाब की खुदाई, चापाकल लगाने, सिंचाई क्षमता को बढ़ाने के लिए चेक डैम, आहार का निर्माण, सरकारी भवनों का चहारदीवारी आदि कार्य किये जाने थे. बारिश में इन कामों को शुरू करने में मुश्किल हो रही थी, नतीजतन इस राशि से योजनाओं पर खर्च करना संभव नहीं हो पा रहा था. ग्रामीण विकास विभाग ने नयी गाइडलाइन जारी करते हुए खेल मैदान के निर्माण, चापाकल मरम्मत समेत अन्य बातों को जोड़ा था.