- बेथेसदा का अर्थ होता है कृपा का घर
Ranchi : बेथेसदा प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय में गुरुवार को बेथेसदा दिवस की 170वीं वर्षगांठ मनायी गयी. मुख्य अतिथि जीएल चर्च इन इंडिया छोटानागपुर और असम के मॉडरेटर जोहन डांग ने मौके पर कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपने दर्शन के साथ इस संस्था को खड़ा किया. यहां पर छोटानागपुर और दूसरे जगह की बिटिया बाहर से आकर शिक्षा का दीप जला रही हैं. गैदरिंग और वार्षिक डे के मौके पर परमेश्वर यीशु हमारे पास प्रकट हुए. यह प्रकट स्वर्गदूत दर्शन से हुआ. संदेश को दूसरों तक पहुंचाया. क्रिसमस और गैदरिंग आनंद को बांटने का संदेश देता है. इससे पहले बेथेसदा बालिका उच्च विद्यालय में प्राइमरी स्कूल, गर्ल्स हाईस्कूल व गर्ल्स मिडिल स्कूल के सभी विद्यार्थी समेत जीएल चर्च के सभी बिशप ने प्रभु का विशेष आराधना किया. इसके बाद सभी ने अपने संस्थानों में कार्यक्रम शुरू किया.
यीशु मसीह के अवतार का नाटक मंचन
महाविद्यालय के छात्रों द्वारा इस मौके पर यीशु मसीह के धरती में बालक रूप में अवतार काे नाटक के माध्यम से दिखाया गया . कॉलेज छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. वहीं बेथेसदा पीटीटी कॉलेज कंपटीशन प्राइज का वितरण किया गया. 2019 बैंच के जैक पीटीटी परीक्षा में पहला, दूसरा और तीसरा स्थान लाने वाले छात्राओं को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया गया. जैक पीटीटी एग्जाम. रंगोली कंपीटीशन, हिंदी दिवस भाषण प्रतियोगिता, हिंदी दिवस कविता प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता 2019, निबंध प्रतियोगिता 2018 -20, हिंदी पखवाड़ा 2020 -22 में सफल होनेवाले विद्यार्थियों के बीच मोमेंटम और प्रशस्ति पत्र बांटा गया. बेथेसदा दिवस को सफल बनाने के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य अंजनी अमिता हेमरोम, सचिव हन्ना मिंज, रेवरेंड जोसेफ सांगा, संगीता मुर्मू, सुरुचि विनीता मिंज, सरिता मिश्रा ,नीलम टोप्पो, एलिस डुंगडुंग, अश्वनी सोरेन का सराहनीय योगदान रहा.
1845 में जर्मनी से मिशनरी रांची आये थे – निरल बागे
जीएल चर्च के रेवरेंड निरल बागे ने बताया कि सबसे पहले 10 जुलाई 1844 को बर्लिन से 4 मिशनरी रांची पहुंचे थे. वर्तमान में मॉडरेटर के बंगला के पास उन्होंने पहला टेंट गाड़ा था. उस जगह का नाम बेथेसदा रखा. बेथेसदा का अर्थ होता है कृपा का घर. इसी को बेथेसदा नाम से जाना जाता रहा है. 1845 में जर्मनी से मिशनरियों का आगमन हुआ. उन्होंने छोटानागपुर प्रांत में पहला स्कूल खोला. बालिकाओं के लिए बेथेसदा बालिका उच्च विद्यालय से ही शिक्षा का प्रचार- प्रसार शुरू हुआ.
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