- झारखंड में सरकारी नौकरी पाना हुआ लोहे के चने चबाने से भी मुश्किल, अभी तक नियुक्तियों की वर्ष की घोषणा सिर्फ हवा- हवाई
- अंतिम मेधा सूची के इंतजार में पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने कभी दीप जलाया तो कभी राष्ट्रपति से किया फरियाद
Ranchi: वर्ष 2021 के आरंभ मे झारखंड सरकार के द्वारा यह घोषणा की गई कि 2021 नियुक्तियों का वर्ष होगा. लेकिन साल के पांचवे महीने के अंत तक आते-आते सरकार की यह घोषणा वास्तविकता से कोसों दूर दिखाई पड़ती है. कोरोना की दूसरी लहर की चुनौतियों की वजह से नई नियुक्तियों को छोड़ भी दें, सरकार पुरानी नियुक्तियों को भी पूरा करने में गंभीर दिखाई नहीं देती है. 3088 पदों पर पंचायत सचिव और लिपिक के पदो के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया जो 2017 मे शुरू हुई थी, वह आज तक पूरी नहीं की जा सकी. अभ्यर्थी आज तक अंतिम मेधा सूची का इंतजार कर रहे है. अंतिम मेधा सूची के प्रकाशन के लिए अभ्यर्थी स्थानीय विधायकों से लेकर भारत के राष्ट्रपति तक से गुहार लगा चुके हैं, राष्ट्रपति को लिखे पत्र में अभ्यर्थियों ने कहा वे कानून, कोर्ट और राज्य सरकार के चक्कर में पिस कर रह गए हैं.
पंचायत सचिव अभ्यर्थियों ने लगाया कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल पर लगाया धोखा देने का आरोप
पिछले वर्ष 18 दिन तक अनिश्चितकालीन व्यक्तिगत सत्याग्रह व आमरण अनशन आंदोलन के दौरान मुख्य सचिव ने वार्ता में स्पष्ट रूप से कहा था कि कर्मचारी चयन आयोग से सलाह मशविरा कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर की जाएगी. सत्याग्रही रमेश लाल, गुड़िया कुमारी, गुलाम हुसैन, नेहा प्रवीण, सुमित बताते हैं की 11 सदस्य कांग्रेस कमेटी ने भी पंचायत सचिव सफल अभ्यर्थी को धोखा दिया है.
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मोरहाबादी मैदान में अनशन के दौरान राज्य की सत्ता मे सहयोगी कांग्रेस एक प्रतिनिधिमंडल अभ्यर्थियों से मिला. मुलाकात के दौरान कई छात्र भावुक भी हो गये, आंखे नम हो गई. उसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे के द्वारा झारखंड सरकार मे मंत्री रामेश्वर उरांव और बादल पत्रलेख से मोबाइल पर आंदोलनरत छात्रों की बात कराई गई. मंत्री रामेश्वर उरांव व मंत्री बादल पत्रलेख ने स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार को कुछ समय दिया जाए, जो भी अधिकारी हैं, उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर बैठक आयोजित किया जाएगा और अगले एक-दो महीने में नियुक्ति प्रक्रिया को भी चालू कर दिया जाएगा.
विधायक ममता देवी के द्वारा अनशनकारी अभ्यर्थियों को जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया गया था. इस घटना के सात महीने बीत गये है, लेकिन अभ्यर्थी अभी भी मेधा सूची का इंतजार कर रहे हैं. नियुक्ति प्रक्रिया नहीं चालू होना सरकार की मंशा पर सवाल खङे करती है.
अभ्यर्थी गुलाम हुसैन कहते हैं कि झारखंड में पंचायत सचिव व लिपिक के पांच हजार युवा बेरोजगार हैं,बेरोजगारी से छात्र मानसिक तौर पर परेशान हैं, और इसी लिए बीते दिनों में बेरो़जगारी की बढ़ती चरम सीमा को दिखाने के लिए 16 नवंबर 2020 को पूरे झारखंड में बेरोजगार दिवस मनाया गया. एक मार्च 2021 को पंचायत सचिव सफल अभ्यर्थियों के द्वारा विधानसभा भवन का घेराव भी किया गया. नतीजतन वहां से भी अधिक से अधिक आश्वासन ही हाथ लगा. पंचायत सचिव अभ्यर्थी की यह बहाली पूर्व की रघुवर सरकार के कार्यकाल में ही बहुत देरी से चल रही थी, राज्य में नई सरकार बनने के साथ 4913 अभ्यर्थियों की उम्मीद ज्यादा थी पर आज तक नियुक्ति पत्र नहीं मिली है.
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अभ्यर्थियों का कहना है कि कोरोना महामारी के इस दौर में पंचायत में पंचायत सचिव की राज्य में भारी कमी है, अगर यह नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होती तो राज्य के विकास में अहम योगदान दे रहे होते सरकार दावे तो बड़ी करती है, लेकिन सरकार के दावों का कोई मतलब नहीं.
सीएम कहते हैं सरकार का है रोजगार पर जोर, पर धरातल पर सबकुछ जीरो: कुणाल षाड़ंगी
पंचायत सचिव अभ्यर्थी की पीड़ा पर सरकार पर हमेशा हमलावर रहने वाले बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़गी ने lagatar.in से बातचीत की. उन्होंने कहा कि आज अभ्यर्थी मन ही मन यही कह रहे हैं कि “बेवफा तेरा 2019 वाला चेहरा, भूल जाने के काबिल नहीं”. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हमेशा कहते है कि रोजगार पर उनकी सरकार का जोर है. लेकिन धरातल पर उनका जोर जीरो हैं. अगर कुछ पहल भी हुई है, तो वह किसी न किसी विवाद में फंस गयी है. जैसा 6-7-8-9 वीं जेपीएससी परीक्षा को लेकर दिखा है.