Ranchi: झारखंड आज 21 सालों का हो चुका है. कई सरकारें आई और इसे अपनी-अपनी कार्यशैली के हिसाब से संवारने का प्रयास किया. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव दिखे. जिसका सकारात्मक असर लोगों के मानसिकता पर भी पड़ा. इस महत्वपूर्ण बदलाव के पीछे सबसे बड़ी वजह कोरोना महामारी भी रही. कोरोना के दौरान सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद संसाधनों की फेहरिस्त लंबी कर दी. कई अत्याधुनिक और अंतराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग की जाने वाली मशीनों को मेडिकल कॉलेज, सदर अस्पताल और अनुमंडल से प्रखंड स्तर तक के अस्पतालों में उपलब्ध करायी गई. बता दें कि कोरोना के शुरूआती दौर में संदिग्ध मरीजों के सैंपल को राज्य से बाहर भेजना पड़ता था, पर अब राज्य के करीब बारह केंद्रों पर आरटीपीसीआर मशीन से जांच होने लगी. इसके आलावा अत्याधुनिक कोबास मशीन की स्थापना रांची और दुमका में हुई. जिससे कोरोना समेत कई गंभीर बीमारियों को पकड़ने में मदद मिल रही है. इसके अलाव सभी जिला अस्पतालों में इतनी सुविधा उपलब्ध करा दी गई कि छोटी-छोटी बीमारियों के लिए किसी निजी अस्पतालों का रूख नहीं करना पड़े. इससे पहले लोग सदर अस्पतालों में जाने से कतराते थे.
सिर्फ रांची सदर अस्पताल ने बचाई दो हजार से अधिक लोगों की जान
रांची जिला सदर अस्पताल जल्द की पांच सौ बेड पर अपनी सुविधा देने लगेगा. इस साल के अंत तक सेवा शुरू हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. सदर अस्पताल रांची ने पहले दो सौ बेड से कोरोना मरीजों का इलाज करना शुरू किया. जिसका लाभ मरीजों को मिला. दो हजार से अधिक लोगों की जान कोरोना की दूसरे लहर में इस अस्पताल ने बचाई. लोग निजी अस्पतालों में जाने के बजाय सदर अस्पताल जाना ज्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद समझ रहे थे.
राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों को मिले ऑक्सीजन और पीएसए प्लांट
कोरोना से पहले सिर्फ चिन्हित जिलों के सदर और अनुमंडल अस्पतालों में ही ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था थी. लेकिन कोरोना के बाद से केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास से लगभग सभी जिलों के सदर अस्पतालों में ऑक्सीजन और पीएसए प्लांट स्थापित किये गए. जिससे मरीजों को बेड तक ऑक्सीजन मिल सकेगा. इससे पहले ऑक्सीजन सिलेंडर ही एकमात्र विकल्प था. बता दें कि पीएम केयर फंड से 18 जिलों के 27 पीएसए प्लांट लगाया गया है. जिसका उद्घाटन 6 अक्टूबर को किया गया.
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रिम्स में 20 बेड का डायलिसिस यूनिट
रिम्स में 20 बेड पर डायलिसिस यूनिट की स्थापना किया जा रही है. जिससे मरीजों को महंगी डायलिसिस से राहत मिलने वाला है. बता दें कि निजी अस्पतालों में एक डायलिसिस में इंजेक्शन के साथ करीब 4500 रूपये का खर्च आता है, इससे मरीजों को राहत मिल सकेगी.यहां आधे से भी कम खर्च पर मरीजों की डायलिसिस हो सकेगी.
ऑर्गन डोनेशन भी हो सकेगा आसान
झारखंड में ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सोटो (स्टेट ऑर्गन एंड टीशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन) की स्थापना की गई है. इसके स्थापित हो जाने से मरीजों को अंग प्रत्यारोपन में आसानी हो सकेगी, एक जगह पर सारी कागजी प्रक्रियाओं पर मुहर लग सकेगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधा को किया जा रहा दुरुस्त
झारखंड सरकार बेहतर स्वास्थ सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए अग्रसर है. विशेषकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ सेवाओं का लाभ सभी को प्राप्त हो सके. सभी वर्ग के लोगों को और बच्चों एवं महिलाओं को स्वास्थ सेवा उनके गांव तक पहुंचाना और शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर एवं कुपोषन से मुक्ति पाने हेतु हर संभव प्रयाश किया जा रहा है.
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