Ranchi: राजनीति में दाग अच्छे हैं. आपराधिक मामले हों या कैरेक्टर पर दाग लगा हो. राजनीतिक पार्टियों को इससे फर्क नहीं पड़ता. दाग चलेगा, लेकिन पार्टी के फैसलों का विरोध नहीं. यही वजह है कि कैरेक्टर पर दाग वाले 6 नेता अभी बीजेपी के अंदर हैं. इनमें से तो दो अभी विधायक भी हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बोकारो के विधायक बिरंची नारायण का अश्लील वीडियो वायरल हुआ. काफी हो-हंगामा हुआ. इसके बाद भी पार्टी ने बिरंची को चुनाव में खड़ा किया.
वहीं दूसरे विधायक हैं पांकी के कुशवाहा शशिभूषण मेहता. बीजेपी ने इन्हें उस वक्त जेएमएम से बीजेपी में लाकर चुनाव लड़वाया जब इनपर रांची के ऑक्सफोर्ड स्कूल की शिक्षिका सुचित्रा मिश्रा की हत्या का मामला चल रहा था. जिस दिन मेहता बीजेपी में शामिल हो रहे थे. उस दिन बीजेपी दफ्तर में खूब हंगामा हुआ था. सुचित्रा मिश्रा के बेटे और परिजनों के साथ मारपीट भी हुई, लेकिन मेहता चुनाव लड़े और जीते. हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन जब वे बीजेपी में शामिल हुए थे उस वक्त दागी थे.
दागियों पर आधिकारिक तौर पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
बीजेपी के पूर्व विधायक और मंत्री रहे सत्यानंद झा बाटुल पर भी दो शादी का आरोप लगा था. बाटुल की रासलीला सामने आने के बाद भी वे पार्टी में बने रहे. इसके बाद रांची के सांसद संजय सेठ के पीए और बीजेपी के सद्स्य संजीव साहू पर एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया. साहू जेल भी गये, लेकिन बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर उन्हें पार्टी से नहीं निकाला. बीजेपी युवा मोर्चा के नेता राहुल सिंह और विवेक सिंह पर एक युवती ने यौन शोषण और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था. पीड़िता बीजेपी दफ्तर तक पहुंच गई थी. इस मामले में भी बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की.
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सरयू, ताला और अमरप्रीत जैसे नेता 2019 में कर दिये गये थे बाहर
वहीं जिन लोगों ने अपने राजनीतिक करियर को बचाने और अपने अधिकार और सम्मान को बचाने के लिए आवाज उठाया, पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए ठिकाने लगा दिया. इनमें कई बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में रघुवर दास का प्रभाव था. ऐसे में रघुवर के विरोधियों को एक-एक कर हटाया जाने लगा. पूर्व मंत्री सरयू राय, अमरप्रीत काले, बड़कुंवर गगराई, महेश सिंह, दुष्यंत पटेल, अमित यादव, सुबोध श्रीवास्तव, असीम पाठक, रजनीकांत सिन्हा, सतीश सिंह, रामकृष्ण दुबे, डीडी त्रिपाठी, रामनारायण शर्मा, रतन महतो, हरेराम सिंह, मुकुल मिश्रा, सर्वेश सिंह, संजय सिन्हा, मिथिलेश पाठक, त्रिभुवन प्रसाद, सुखदेव भगत, ताला मरांडी, प्रवीण प्रभाकर और शालिनी गुप्ता जैसे नेताओं को विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी कार्य करने के आरोप में पार्टी ने चिट्ठी निकालकर 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया.
रघुवर के सामने बोलने की गुस्ताखी की तो सीमा शर्मा बाहर
2014 में हटिया से चुनाव लड़ चुकी और 2017 में महानदी कोलफिल्ड्स लिमिटेड की निदेशक रहीं सीमा शर्मा को भी आवाज उठाने पर बीजेपी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. बीजेपी की एक बैठक में तात्कालीन सीएम रघुवर दास की मौजूदगी में सीमा शर्मा ने अपनी बात रखनी चाही. इसपर रघुवर ने उनके प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि यह कार्यसमिति की बैठक नहीं है. जिसके बाद सीमा शर्मा ने रघुवर पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया. उसी दिन उनके बॉडीगार्ड वापस ले लिये गये और शाम तक पार्टी ने उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया.
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