New Delhi : भारत के इतिहास में 26 नवंबर, 1949 और 26 जनवरी (26 January), 1950 का बहुत महत्व है. यह दोनों तारीखें भारत के संविधान के इतिहास से जुड़ी हैं. 26 नवंबर, 1949 को हमारा संविधान अंगीकार किया गया तो वहीं 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया. संविधान को जिस तारीख में अंगीकार किया गया यानी 26 नवंबर, उस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस. आइए गणतंत्र दिवस के मौके पर हम अपने संविधान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जानते हैं.
जानें संविधान सभा के गठन का इतिहास
साल 1946 में कैबिनेट मिशन प्लान के तहत संविधान सभा का गठन किया गया. डॉ.राजेंद्र प्रसाद को इसका सभापति और डॉ.बी.आर.अंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए 13 समितियों का गठन किया गया. शुरू में संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे. प्रोविंसेज के 292 प्रतिनिधि, राज्यों के 93 प्रतिनिधि, चीफ कमिश्नर प्रोविंसेज के 3, बलुचिस्तान के 1 प्रतिनिधि शामिल थे. बाद में मुस्लिम लीग ने खुद को इससे अलग कर लिया, जिसके बाद संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 रह गई.
जनवरी 1948 में भारत के संविधान का पहला प्रारूप चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया. 4 नवंबर, 1948 को चर्चा शुरू हुई और 32 दिनों तक चली. इस अवधि के दौरान 7,635 संशोधन प्रस्तावित किए गए. जिनमें से 2,473 पर विस्तार से चर्चा हुई. 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों तक संविधान सभा की बैठक हुई जिस दौरान संविधान को अंतिम रूप दिया गया.
संविधान के बारे में रोचक तथ्य
- संविधान की मूल प्रति को हिंदी और इंग्लिश में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था. उन्होंने संविधान के हर पेज को खूबसूरत लिखावट और इटैलिक में लिखा है. उन्होंने नंबर 303 के 254 पेन होल्डर निब का संविधान लिखने के लिए इस्तेमाल किया. संविधान लिखने में उनको 6 महीने लगे. भारत सरकार द्वारा कॉन्स्टिट्यूशन हाउस में उनको एक कमरा आवंटित किया गया था. उन्होंने मेहनताना लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे.
- संविधान के हर पेज चित्रों से सजाने का काम आचार्य नंदलाल बोस को सौंपा गया था. उनके मार्गदर्शन में उनके शिष्यों ने संविधान को डिजाइन देने का काम किया. बड़ी-बड़ी तस्वीरों को नंदलाल बोस ने खुद से पेंट किया.
- संविधान के सबसे अहम पेज ‘प्रस्तावना’ को अपनी कला से सजाने का काम व्यौहार राममनोहर सिन्हा ने किया. वह नंदलाल बोस के एक शिष्य थे.
- यह संविधान दुनिया का सबसे लंबा और सबसे विस्तृत संविधान है. इसमें 25 भाग, 448 आर्टिकल्स और 12 शेड्यूल हैं. मूल संविधान में 395 आर्टिकल्स और 9 शेड्यूल थे. भारतीय संविधान की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि इसको तैयार करते समय सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक विविधता का ध्यान रखा गया.
- भारत के संविधान को उधार का थैला भी कहा जाता है. इसे बनाने के लिए 10 प्रमुख देशों के अलावा उस समय मौजूद 60 से अधिक संविधानों की सहायता ली गई. आजादी, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को फ्रांस के संविधान से लिया गया है. 5 वर्षीय योजना का आइडिया यूएसएसआर से लिया गया था. सामाजिक-आर्थिक अधिकार का सिद्धांत आयरलैंड से लिया गया. सबसे अहम, जिस कानून पर सुप्रीम कोर्ट काम करता है, वह जापान से लिया गया. ऐसी कई और चीजें हैं जो अन्य देशों के संविधान से ली गई हैं.
- संविधान के निर्माण पर कुल 64 लाख रुपये का खर्च आया था. संविधान सभा कुल 11 सत्रों के लिए बैठी थी. संविधान सभा का 11 वां सत्र 14-26 नवंबर 1949 के बीच आयोजित किया गया था. 26 नवंबर 1949 को संविधान का अंतिम ड्राफ्ट तैयार हुआ था.
- हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को भारत की संसद की लाइब्रेरी में विशेष हीलियम से भरे केस में रखा गया है ताकि लम्बे समय तक सुरक्षित रहें.
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