स्कूल रुआर कार्यक्रम पर एक दिवसीय कार्यशाला
विद्यालय छोड़ चुके बच्चों के नामांकन के लिए जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों व पदाधिकारियों ने लिया संकल्प
Chouparan : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग झारखंड के निर्देशानुसार प्रखंड सभागार में शुक्रवार को स्कूल रुआर कार्यक्रम पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला पर प्रकाश डालते हुए बीईईओ राकेश सिंह ने बताया कि रुआर कार्यक्रम के तहत विद्यालय छोड़ चुके बच्चों को पुनः विद्यालय में वापसी कराना है. इस कार्यक्रम को हमें विद्यालय के शिक्षकों, प्रबंधन समिति व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से सफल बनाना है. आंकड़ा पेश करते हुए बीईईओ ने बताया कि चौपारण प्रखंड में 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के तीन व 14 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 34 बच्चे हैं. जो बच्चे विद्यालय छोड़ चुके हैं, उन्हें स्कूल में वापसी करवाना है. सीआरपी शैलेंद्र पांडेय ने कहा कि बच्चों में उत्सकुता बढ़ाएं, ताकि बच्चे स्कूल से जुड़े रहें. शिक्षक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, तभी बच्चों का भविष्य बन पाएगा.
इससे पहले कार्यशाला का शुभारंभ चौपारण प्रमुख पूर्णिमा देवी, बीडीओ प्रेमचंद सिन्हा, जिला परिषद सदस्य आरती कौशल, सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव, विधायक प्रतिनिधि रामफल सिंह, 20 सूत्री उपाध्यक्ष विकास यादव, सदस्य वीरेन्द्र राणा, बीईईओ राकेश सिंह, उमाकांत यादव सहित अन्य ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. कार्यक्रम की अगुवाई बीडीओ और संचालन शिक्षक जनार्दन प्रसाद वर्मा ने किया. बैठक में मुखिया मंटू सिंह, रेखा देवी, सुनीता देवी, देवंती देवी, अर्चना हेंब्रम, ब्रह्मदेव भुइयां, सीआरपी शैलेन्द्र पांडेय, प्रभाकर अंबुधि, प्रांतोष सिंह, विश्वनाथ साव, शिक्षक डॉ. प्रदीप साहू आदि उपस्थित थे.
शिक्षा के प्रति बच्चों में जागरुकता फैलाएं : प्रमुख
कार्यशाला में प्रमुख पूर्णिमा देवी ने कहा कि स्कूल छोड़ चुके बच्चों को स्कूल वापसी कराने के लिए अभियान चलाएं व शिक्षा के प्रति बच्चो में जागरुकता फैलाएं. शिक्षक बच्चों में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी बढ़ाएं. सरकार जितनी सुविधा बच्चों के लिए देती है, उसका उपयोग कर सभी शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का कार्य करें.
शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए आत्मचिंतन करें शिक्षक : बीडीओ
बीडीओ प्रेमचंद सिन्हा ने कहा कि वह भी कभी शिक्षक थे और विषम परिस्थिति में बेहतर शिक्षा देने का कार्य किया. शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षक खुद में आत्मचिंतन करें. शिक्षा का बेहतर माहौल उत्पन्न करें, ताकि बच्चे प्रतिदिन स्कूल आएं. बच्चों और उनके अभिभावकों को शिक्षा के महत्व से अवगत कराएं.
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