Chakulia : पूर्वी सिंहभूम जिला में पश्चिम बंगाल और ओडिशा की सीमा से सटा चाकुलिया वन क्षेत्र सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र है. इस वन क्षेत्र में चार साल से जंगली हाथियों और इंसानों के बीच जंग जारी है. इस वन क्षेत्र में चाकुलिया, बहरागोड़ा, धालभूमगढ़ और घाटशिला प्रखंड के कुछ अंश आते हैं. क्षेत्र में जंगली हाथी आम जनता के लिए एक त्रासदी से कम नहीं है. मई 2018 से अब तक इस वन क्षेत्र में जंगली हाथियों ने 16 लोगों की जान ली है और कई दर्जन लोगों को जख्मी किया है. जंगली हाथियों ने सैकड़ों घरों को तोड़ा है और धान, सब्जी, मकई और बांस की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. किसानों के लिए जंगली हाथी एक आपदा बने हुए हैं. जंगली हाथियों का उपद्रव बदस्तूर जारी है और वन विभाग इन हाथियों को किसी सुरक्षित स्थान में पहुंचाने में नाकाम रहा है. जंगली हाथी प्रतिदिन उत्पात मचा रहे हैं. ग्रामीण इलाके के लोग हाथियों के उपद्रव से सहमे में हुए हैं.
चार साल से क्षेत्र में डेरा डाले है हाथियों का झुंड
पश्चिम बंगाल और ओडिशा सीमा से सटे इस वन क्षेत्र में वर्ष 2018 से 40 से 50 जंगली हाथी डेरा डाले हुए हैं. जंगली हाथी दिन भर तो जंगलों में रहते हैं. परंतु शाम होते ही गांवों में घुसकर उपद्रव मचाने लगते हैं. घरों को तोड़ते हैं, फसलों को पैरों से रौंदकर और खाकर नष्ट करते हैं. जंगली हाथी साक्षात मौत बनकर घूम रहे हैं. हाथियों से भयभीत ग्रामीण शाम होते ही अपने घरों में दुबक जाते हैं. हाथियों से सर्वाधिक नुकसान किसानों को हो रहा है. इस साल जंगली हाथियों ने बांस के राईजोम को खाकर और तोड़कर किसानों को लाखों का नुकसान पहुंचाया है. वहीं धान की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है.
वन विभाग प्रति एकड़ तीन हजार रुपए ही ग्रामीणों को देता है मुआवजा
वन विभाग द्वारा मुआवजा के रूप में किसानों को काफी कम राशि दी जाती है. प्रति एकड़ 3000 रुपए की दर से क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है. यह राशि काफी कम मानी जा रही है. हाथियों के भय से कई इलाके में किसानों ने धान की खेती बंद कर दी है और खेत को परती छोड़ दिया है. झारखंड के लोग हाथियों को पश्चिम बंगाल सीमा में खदेड़ देते हैं तो पश्चिम बंगाल के लोग झारखंड की सीमा में खदेड़ देते हैं. इन दो राज्यों के ग्रामीणों के बीच जंगली हाथी भागमभाग की स्थिति में हैं और इस कारण कुछ ज्यादा ही उग्र होकर उपद्रव मचा रहे हैं.
हाथियों के हमले में इनकी हुई मौत
दो मई 2018 को बहरागोड़ा के बड़शोल थाना क्षेत्र के गोहलामुड़ा गांव की आशा लता दास, 3 मई 2018 को चाकुलिया के पूर्णापानी गांव की धर्मा मांडी, 15 जून 2018 को घाटशिला के बांधडीह के श्यामल पाल, 22 अगस्त 2019 को बड़शोल के कुटशोल के चुनाराम सबर, एक सितंबर 2019 को चाकुलिया के मौरबेड़ा के रेंटा हांसदा, 12 अक्टूबर 2019 को चाकुलिया के कमारीगोड़ा के संजय भारती, 31 जनवरी 2020 चाकुलिया के बनकांटी के पिकलु सबर, तीन फरवरी 2020 को चाकुलिया के बनकांटी की कल्याणी सबर और दिशा सबर, 2 मार्च 2020 को चाकुलिया के घागरा के सहदेव सिंह, 17 अप्रैल 2020 को बड़शोल के सालदोहा के माणिक किस्कू, 13 अगस्त 2020 को चाकुलिया के मौरबेड़ा के राम मुर्मू, 25 अगस्त 2020 को घाटशिला के बरडीह के पवित्र पातर, 10 सितंबर 2020 को श्यामसुंदरपुर के रांगामाटिया के लोविन गोप,12 अगस्त 2021 को चाकुलिया के जामुआ के पिथो मुंडा, 11 अक्टूबर 2021 को चाकुलिया के घाघरा के गंगाधर सिंह की मौत हाथियों के हमले में हुई है.
वन विभाग ने हाथियों के उपद्रव से निजात दिलाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की
वन विभाग ने हाथियों के उपद्रव से निजात दिलाने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की है. वन विभाग हाथी भगाने के लिए ग्रामीणों को कुछ टॉर्च और पटाखे दे देता है. चाकुलिया के वन क्षेत्र पदाधिकारी दिग्विजय सिंह ने कहा कि हाथियों को भगाने के लिए क्यूआरटी की टीम बहाल है. हाथियों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए जल्द ही पश्चिम बंगाल और ओडिशा के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर नीति का निर्धारण किया जाएगा.