Ranchi : प्रोन्नति पर लगी रोक हटाने संबंधी मामले पर सैद्धांतिक सहमति सरकार द्वारा मिल चुकी है. राज्य में 57182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं. दूसरी ओर राज्य में प्रोन्नति पर लगी रोक का खमियाजा झारखंड मंत्रालय में कार्यरत कर्मियों को भी उठाना पड़ा है. तय समय में मिलने वाली प्रोन्नति का लाभ प्राप्त किये बिना करीब 100 से अधिक कर्मी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. पूरे राज्य में ऐसे कर्मियों की संख्या 2000 से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. वहीं झारखंड मंत्रालय में प्रति माह औसतन 10 से 15 कर्मी सेवानिवृत्त हो रहे है. राज्य में प्रोन्नति पर रोक लगाने से संबंधित आदेश दिसंबर 2020 जारी किया गया था. तब से प्रोन्नति पर रोक लगी हुई है. वहीं प्रोन्नति को लेकर एक मामला झारखंड हाइकोर्ट में भी है, जिस पर 6 दिसंबर को सुनवाई होनी है.
हेमंत सोरेन का अनुमोदन प्राप्त हो चुका है
कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा प्रोन्नति पर लगायी गई रोक के संबंधित संचिका पर एजी से मंतव्य लिया जा चुका है. इसके बाद कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के मंत्री के रूप में हेमंत सोरेन का अनुमोदन भी प्राप्त हो चुका है. विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद संचिका को मुख्य सचिव सचिवालय भेजा गया था. वर्तमान में भी संचिका मुख्य सचिव सचिवालय में है. संचिका पर मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद राज्य में प्रोन्नति पर लगी रोक हट जायेगी, जिसका लाभ 57,182 कर्मी और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को मिलेगा. सूबे के 34 विभागों के 31 प्रमुख विभागों में राज्य में कुल स्वीकृत पदों की कुल संख्या 3,01,198 है. जिसमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं.
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प्रोन्नति को लेकर मामला हाइकोर्ट में भी
झारखंड हाइकोर्ट में डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ पद पर प्रोन्नत किये जाने के मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होनी है. इसमें कहा गया था विभागीय प्रोन्नति समिति ने एसडीओ पद पर प्रोन्नति के लिए अधिकारियों को योग्य पाते हुए अनुशंसा की थी, लेकिन अधिसूचना जारी नहीं हो पाई. इसके बाद मामला हाई कोर्ट में पहुंचा था.
सेवानिवृत्त हो चुके कर्मी को भी प्रोन्नति का वित्तीय लाभ मिले : ब्रजेन्द्र हेमरोम
एसटीएसी फोरम से जुड़े ब्रजेन्द्र हेमरोम कहते हैं- प्रोन्नति पर लगी रोक के दौरान जो कर्मी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें भी प्रोन्नति का वित्तीय लाभ मिलना चाहिए. प्रोमोशन पर लगी रोक हटाने एवं सरकार की सेवाओं और पदों के अधीन प्रोन्नति, प्रशासनिक दक्षता और क्रिमी लेयर में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर एक अध्ययन रिपोर्ट सरकार के द्वारा तैयार कराया गया था. गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर भूतलक्षित प्रभाव से एसटीएससी कर्मियों को प्रोन्नति मिले. राज्य में प्रोन्नति को गलत ढंग से प्रभावित करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, जिसका खमियाजा एसटी—एससी कर्मी उठा चुके हैं.
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