Gaurav Prakash
Hazaribagh: हजारीबाग की कैनेरी हिल पर 600 साल पुराना ऐतिहासिक धरोहर मिला है. इको टूरिज्म के शोधकर्ता मृत्युंजय शर्मा को इससे संबंधित साक्ष्य हाथ लगे हैं. हजारीबाग की पहचान कैनेरी हिल से भी है. इसी इलाके से सटे उत्तरी क्षेत्र चुरचू गांव से लगभग 500 से 600 साल पुराने मेगालिथ (महापाषाण) के साथ-साथ लौह अयस्क गलाने के बाद उसके बचे हुए अवशेष प्राप्त हुए हैं. हजारीबाग के प्रकृति प्रेमी और पर्यावरण पर शोध करने वाले मृत्युंजय शर्मा को यह बेशकीमती धरोहर मिली है.
मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने मेगालिथ के बारे में मेगालिथ शोधकर्ता सह खोजकर्ता शुभाशीष दास को भी जानकारी दी है. उन्होंने भी इस बात को लेकर हामी भरी है कि यह मेगालिथ लगभग 500 से 600 साल पुराना हो सकता है. शुभाशीष दास का यह भी कहना है कि असुर प्रजाति के लोग कभी इस इलाके में रहते होंगे. जो लोहा गलाने का काम करते थे. लोहा गलाने के बाद जो अवशेष प्राप्त होता है, वही कैनेरी हिल के इलाकों से बरामद किए गए हैं. ऐसे में स्पष्ट होता है कि कैनेरी हिल का यह इलाका सिर्फ इको टूरिज्म के लिए नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है. जरूरत है सरकार को इस ओर शोध करने की.
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इको टूरिज्म पर काम करने वाले मृत्युंजय शर्मा ने ‘शुभम संदेश’ की टीम से बात करते हुए बताया कि इस बात को लेकर बेहद खुशी है कि जिस इलाके को इको टूरिज्म की दृष्टिकोण से देख रहे थे, वह ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद धनी है. जिस तरह से मेगालिथ और स्लग मिले हैं, यह यह बताता है कि इन इलाकों में शोध करना चाहिए, तभी इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल सकता है. वैसे भी हजारीबाग ऐतिहासिक स्थल रहा है. अब भी जिले के कई इलाकों में ऐतिहासिक महत्व की दुर्लभ वस्तुएं मिली हैं. पिछले साल चुरचू से सटे इलाके बहोरनपुर से बुद्ध की कई ऐतिहासिक प्रतिमाएं मिली हैं. वहां पुरातत्व विभाग आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से खुदाई भी की गई थी. वहीं कैनेरी हिल से सटे शेखा-बड़ासी में भी अतिप्राचीन कई दुर्लभ मूर्तियां पहले मिल चुकी हैं.
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