Praveen Kumar.
Garhwa : गढ़वा जिले का बडगढ़ प्रखंड का गोठानी गांव अनुसूचित क्षेत्र है. अनुसूचित क्षेत्रों को संविधान द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त है. प्रथा के अनुसार सामाजिक- प्रशासनिक मामलों में ग्राम सभाओं द्वारा बैठक कर सवर्सम्मति से नियमसंगत निर्णय लेने का विशेषाधिकार हैं. गोठानी ग्राम सभा ने वनाधिकार कानून 2006 की धारा 3 (1) (i) के तहत 12 सितंबर 2019 को सामुदायिक दावा प्रपत्र के लिए सभी प्रक्रियाएं पूरी कर रंका अनुमंडल कार्यालय को सौंप दिया है. इधर गोठानी ग्राम सभा के सदस्यों ने विभिन्न बैठकों में गांव के वन क्षेत्र के प्रबंधन के लिए मान्यताओं व नियमों को अंगीकार किया है. वन क्षेत्र के प्रबंधन के लिए गोठानी ग्राम सभा ने नियम तय किए है, जिसमें पेड़ों की कटाई काे पूरी तरह अवैध करार दिया है. लेकिन ग्राम सभा द्वारा पारित नियमों की अनदेखी करते हुए बडगढ़ निवासी मिथिलेश ठाकुर ने लाइन होटल निर्माण के क्रम में 21 नवंबर की रात चोरी छुपे मजदूरों से सखुआ के 9 पेड़ कटवा डाले. जंगल की नियमित निगरानी के लिए निकले ग्राम प्रधान, ग्राम सभा सचिव एवं गांव के सक्रिय सदस्य जब बडगढ़ – चांदाे रोड के गोठानी – टेंगारी सीमाना के पास पहुचे ताे वन विभाग के ट्रेंच में बोटा छुपा कर रखा पाया. तत्काल ग्राम सभा के समस्त सदस्यों को सूचित किया गया. ग्राम सभा ने दो दिनों (24-25 नवंबर) तक बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया ग्राम सभा ने दोषी मिथिलेश ठाकुर पर आर्थिक दंड लगाया. लेकिन मिथिलेश ठाकुर ग्राम सभा के निर्णयों को धत्ता बताते हुए मनमानी करते रहे .
ग्राम सभा ने वन विभाग को सूचना दी, सखुआ के बोटे जब्त, केस दर्ज
गांव के पंचो ने वन विभाग, भंडरिया रेंज के रेंजर कन्हाई राम को टेलीफोन के जरिये सूचना दी. वन विभाग ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराते हुए काटी गए सखुआ के बोटे को 25 नवंबर की शाम को जब्त कर लिया. अब मामला गढ़वा न्यायालय में विचाराधीन है. वन विभाग न्यायालय से अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी कराने की तैयारी कर रहा है.
ग्राम सभा जंगल से संबंधित मामलों का कर रही निष्पादन
इलाके के बडगढ़, भंडरिया, चिनिया, डंडई और रंका थाना क्षेत्र की 33 ग्राम सभाओं ने 15,598 हेक्टेयर वन भूमि पर दावा पेश किया है. गोठानी ग्राम सभा का 48.28 हेक्टेयर वन भूमि पर पारंपरिक अधिकार है . इससे पूर्व भी गोठानी ग्राम सभा ने जंगल से संबधित कई मामलों का निष्पादन किया है . दोषियों ने ग्राम सभा में अपना जुर्म कबूला और जुर्माना भी भरा है . मिथिलेश ठाकुर का पहला मामला है, जिस पर निणर्य लेकर ग्राम सभा ने न्यायालय में भेजा है. कई ग्राम सभाओं ने जैव विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत जैव विविधता प्रबंधन पंजी का संधारण भी प्रारंभ कर दिया है. सिर्फ इतना ही नहीं, ग्राम सभाओं ने अपने दावा क्षेत्र में सीमाओं पर अधिकार एवं जागरूकता से संबंधित साइन बोर्ड भी लगवा रखा है.