Girish Malviya
जी हां हम बात कर रहे हैं देश की जानीमानी कंपनी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की. जिसे 8 जून 2021 को दिवालियापन मामलों की अदालत एनसीएलटी ने अरबपति अनिल अग्रवाल की कंपनी ट्विन स्टार को 3,000 करोड़ रुपए में अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी हैं.
ट्विन स्टार 90 दिनों के भीतर सिर्फ 500 करोड़ रुपए देना है और बाकी धनराशि का भुगतान कुछ समय के भीतर गैर परिवर्तनीय डिबेंचर्स के रूप में करेगी. वैसे 2019 में कंपनी के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने बैंकों का 31,289 करोड़ रुपए लौटाने की पेशकश की थी. धूत ने कहा था कि अगर लेंडर्स उनकी कंपनी को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड से बचा लेते हैं तो वह अगले 15 से 18 साल में 31,289 करोड़ रुपए का बकाया लौटा देंगे. लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गयी और मानना भी नही चाहिए थी. क्योंकि जिसने शुरू से इस कंपनी को डुबोने का कार्य किया हो उसे ही कंपनी वापस सौंप दी जाए. यह कोई न्याय की बात नहीं है.
धूत की 15 कंपनियां वर्ष 2017 से IBC के दायरे में आ गयी थी. अभी इन 15 में से 13 कंपनियां वेदांता की ट्विन स्टार को सौंप दी गई है. इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक इन कंपनियां पर करीब 57,444 करोड़ रुपये के दावे को IBC में स्वीकार कर लिया गया था. लेकिन तब भी मात्र 3 हजार करोड़ में सब सेटल कर लिया गया.
गजब का मजाक है. लेकिन सच है. क्योंकि हम भारत मे रहते हैं.
इस प्रक्रिया में बैंकों को प्राप्त होने वाली राशि हेयरकट कहा जाता है. हमारे यहां कहावत है कि मुर्दे के बाल काट देने से मुर्दा हल्का नहीं होता. लेकिन बैंकों को यहां सिर्फ मुर्दे के बाल ही मिल रहे हैं. तब भी वह संतुष्ट हैं. कौन सा उनकी जेब से पैसा गया है. पैसा तो आपकी हमारी जेब से गया है न !
मजे की बात यह है कि वीडियोकॉन को लोन कोई एक दो संस्थाओं ने नहीं दिया है. बल्कि इस समूह को कुल 54 वित्तीय संस्थाओं ने लोन दिया है. इसे लोन देने वाले बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा ICICI बैंक की होती हैं.
दरअसल, वर्ष 2008 के दिसंबर में वीडियोकॉन समूह के मालिक वेणुगोपाल धूत ने बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो संबंधियों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई. 65 करोड़ की कंपनी 9 लाख में बेची गयी. फिर इस कंपनी को 64 करोड़ का लोन दिया गया. लोन देने वाली कंपनी वेणुगोपाल धूत की थी. बाद में इस कंपनी का मालिकाना हक महज 9 लाख रुपये में उस ट्रस्ट को सौंप दिया गया, जिसकी कमान चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के हाथों में थी. सबसे हैरानी की बात ये थी कि दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर वेणुगोपाल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिलने के छह महीने के बाद किया गया.
यह बात वक़्त रहते मालूम भी पड़ गयी थीं. वीडियोकॉन में चल रहे घोटाले के व्हिसल ब्लोअर अरविंद गुप्ता ने 15 मार्च, 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा था. उस पत्र में जिक्र किया गया था कि वेणुगोपाल एन धूत ने साल 2014 के दौरान भारतीय जनता पार्टी को चंदा दिया है.
गुप्ता जी ने पीएमओ, आरबीआई, सेबी सहित सभी को लेटर भी लिखा. लेकिन उन्हें कहीं से जवाब नहीं मिला. उन्होंने सीधे तौर पर प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर लोन देने में मिलीभगत का आरोप लगाया था लेकिन तब बात दबा दी गयी.
यह ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा कहने वालों’ की सरकार की बात है. बाद में इसी केस में चंदा कोचर का पद गया. लेकिन उन्हें कोई सजा अब तक नही हुई. जबकि घोटाले के साफ- साफ सारे सुबूत मौजूद हैं.
लेकिन ICICI का तो सिर्फ 3,250 करोड़ रुपया डूबा बाकी बैंको का तो बहुत बड़ा नुकसान हुआ.
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के कुल 54 कर्जदाताओं में से 34 बैंक हैं. इन बैंकों में सबसे ज्यादा बकाया एसबीआई का है. इसमें आपके हमारे बैंक SBI के लगभग 16 हजार करोड़, आईडीबीआई बैंक के 9,561.67 करोड़ रुपए, सेंट्रल बैंक के ओर सेंट्रल बैंक के 3,073.16 करोड़ रुपए लगभग डूब गए है.
वर्ष 2020 में धूत के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र के तहत मामला दर्ज किया. लेकिन साथ ही साथ सीबीआई ने बैंकों के समूह (कंसोर्टियम) के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था. दरअसल, एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों के एक समूह ने वीडियोकॉन समूह को मोज़ाम्बिक, ब्राजील और इंडोनेशिया में अपने तेल एवं गैस परिसंपत्तियों के विकास के लिये ‘स्टैंडबाय लेटर ऑफ क्रेडिट’ (एसबीएलसी) सुविधा दी थी.
सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की है. उसमें कहा गया है कि ‘तथ्यों एवं प्रथम दृष्टया परिस्थितियों से यह प्रदर्शित होता है कि एसबीआई के नेतृत्व में ऋण दाता बैंकों के अज्ञात अधिकारियों ने वेणुगोपाल धूत के साथ साजिश रच कर वीएचएचएल को एससीबी से सुविधा का लाभ उठाना जारी रखने दिया. इस तरह से वीडियोकॉन को गलत तरीके से फायदा हुआ तथा भारतीय सार्वजनिक उपक्रम बैंकों को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया गया.’
लेकिन लिख के रख लीजिए यदि इस केस में किसी बड़े बैंक के अधिकारी को जरा सी भी सजा हो जाए. यही तो इस क्रोनी केपेटेलिज़्म की खूबसूरती है. ऊपर से नीचे तक सारा सिस्टम ही भ्रष्ट हो जाता है, तो कौन किसको सजा दिलवाएगा.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.