Kharsawan : धर्म जागरण समिति के तत्वावधान में खरसावां के काली मंदिर सामुदायिक भवन में चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन मंगलवार को श्रीधाम वृंदावन से आईं कथा वाचक दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिया. संगीतमय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान कृष्ण भक्ति से ओत-प्रोत भजन पेश किया गया. इस दौरान श्रीमद् नारायण, नारायण हरे हरे… जैसे भजनों पर श्रद्धालुओं को झूमते देखा गया.
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कलाकारों ने आकर्षक झांकी निकाली
इस दौरान कलाकारों ने आकर्षक झांकी निकाली. कृष्ण जन्म पर निकाली गई झांकी पर भक्त भाव-विभोर हो उठे. श्रद्धालु कृष्ण् भक्ति में पूरी तरह से लीन दिखे. दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने कहा कि धर्म की रक्षा के लिये प्रभु ने इस धरती पर बार-बार जन्म लिया. इस कलियुग में धर्म की रक्षा अच्छे संस्कारों से ही हो सकती है. भागवत कथा का जो श्रवण करेगा, वह निश्चित रूप से संस्कारवान होगा. कलयुग में कृष्ण का नाम ही भवसागर पार लगा सकता है.
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भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के पाप से मुक्ति मिलती है
कथा वाचक दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने भागवत महापुराण को साक्षात कृष्ण का स्वरूप बताया. उन्होंने कहा कि इसमें कृष्ण के सभी रस समाहित है. भागवत गीता को नारायण का अंग माना जाता है और भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर का पाप से मुक्ति मिलती है. उन्होंने कहा कि भागवत गीता में मानव जीवन का रहस्य छिपा हुआ है. मनुष्य को सद्कर्म करना चाहिये. अच्छे कार्य ही पीछे रह जाते है. दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने वैराग्य जीवन पर भी प्रकाश डाला.
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भक्त की रक्षा के लिये प्रभु हर जगह प्रकट हो जाते हैं
श्रीधाम वृंदावन से आईं कथा वाचक दीदी ऋत्विजा शास्त्री ने कहा हिन्दुओं के अठारह पुराणों में से एक श्रीमद् भागवत में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय व 12 स्कंध हैं, जिनमें भगवान विष्णु के अवतारों का ही वर्णन है. उन्होंने भागवत कथा के दौरान प्रह्लाद जन्म, गज-ग्राह के उद्धार, नृसिंह अवतार, समुद्र मंथन, प्रह्लाद जन्म प्रसंग की चर्चा करते हुए विस्तार से बताया. उन्होंरने कहा कि जो भक्त उन्हें सच्चे हृदय से बुलाता है, भक्त की रक्षा के लिये प्रभु हर जगह प्रकट हो जाते हैं. भगवान आने में देर नहीं करते, बल्कि हम बुलाने में देर कर देते हैं. उन्होंने भक्त प्रह्लाद की कथा सुनाते हुए कहा कि दैत्य का बेटा भी भगवान को पुकारा तो, हिरण्य कश्यप से उसकी रक्षा के लिये प्रभु प्रकट प्रकट हो गए. भगवान किसी के साथ पक्षपात नहीं करते. इन कथाओं से सीख लेनी चाहिए.
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