Barkagaon : हजारीबाग के बड़कागांव स्थित पंकुरी बरवाडीह में शनिवार को मेगालिथ साइट से खगोलप्रेमी अनोखे समदिवारात्रि (इक्वीनोक्स) का खूबसूरत सूर्योदय नहीं देख पाए. दरअसल सुबह 6.10 बजे सूर्य बादलों में छिपा रह गया. इससे खगोप्रेमियों में निराशा के भाव थे. दरअसल सूर्य को उन दो मेगालिथों के बीच से सटीक पूर्व में शून्य डिग्री पर उदित होते देखने का अलग ही रोमांच होता है. शनिवार को दिन व रात की अवधि 12-12 घंटे समान रही. सूर्य 24 सितंबर से मकर रेखा की तरफ दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर अग्रसर होता दिखाई देगा. यह खगोलीय घटना देखने की परंपरा अतिप्राचीन मानवों खासतौर पर आदिवासियों के सटीक गणितीय गणना और उनके अध्यात्म से जुड़ा है.
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गिने-चुने इक्वीनोक्स स्थल ही विश्व में
पकरी बरवाडीह जैसे गिने-चुने इक्वीनोक्स स्थल ही विश्व में है. भारत में यह इकलौता, ऐतिहासिक और अनोखा इक्वीनोक्स स्थल है. ऐसे स्थल इंग्लैंड के न्यूग्रेंज और हेरेंज में देखने को मिलते हैं, जहां इक्वीनोक्स के अनोखे सूर्योदय का नजारा देखने के लिए दुनियाभर के लाखों लोग जुटते हैं. इसकी खोज वर्ष 2000 में मेगालिथ शोधकर्ता सह खोजकर्ता हजारीबाग नवाबगंज निवासी शुभाशीष दास ने की थी.
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