- मांग रहा कृषि कार्य हेतु पानी, जलापूर्ति योजना में नहीं है प्रावधान
- सपड़ा में वन अधिकारियों की उपस्थिति में कटेंगे 1200 पेड़ तब शुरू होगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य
Adityapur (Sanjeev Mehta) : आदित्यपुर के ढाई लाख शहरी लोगों को अभी और कम से कम 2 साल पाइप लाइन जलापूर्ति के लिए इंतजार करना होगा, क्योंकि आदित्यपुर वृहत जलापूर्ति योजना में पेंच ही पेंच है. इस योजना की ताजा प्रगति रिपोर्ट पर गौर करें तो निर्माण एजेंसी जिंदल पावर ने करीब 480 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने चुका है. साथ ही 11 में से 10 जलमीनार द्रुत गति से बना रहा है, किंतु इस योजना का मुख्य सूत्रधार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य ही अधर में पड़ा है.
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ग्रामसभा मांग रहा कृषि कार्य हेतु पानी
इस योजना में 2 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनने हैं. सीतारामपुर में 30 एमजीडी और सपड़ा में 60 एमजीडी क्षमता का, लेकिन सीतारामपुर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण में वहां की ग्रामसभा बाधा बन गया है. ग्रामसभा की मांग है कि कृषि कार्य हेतु पानी दे, जबकि जलापूर्ति योजना में कृषि कार्य हेतु पानी देने का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में यहां अभी तक पेंच फंसा हुआ है. बात करें सपड़ा की तो सपड़ा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 11 एकड़ वन भूमि मिली है. इस पर करीब 1200 पेड़ हैं. उसे काटने या हस्तांतरण की अनुमति तो विभाग ने दे दी है, किंतु अब शर्त यह है कि वन अधिकारियों की उपस्थिति में ही पेड़ काटे जाएंगे. इसके बाद शुरू होगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य. ऐसे में दोनों जगह पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है.
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55 हजार परिवारों को देना है निःशुल्क वाटर कनेक्शन
आदित्यपुर वृहत जलापूर्ति योजना अमृत योजना का हिस्सा है. इसके तहत आदित्यपुर के सभी करीब 55 हजार परिवारों को निःशुल्क वाटर कनेक्शन केवल होल्डिंग टैक्स की रसीद और आधार कार्ड लेकर देना है. यही वजह है कि उद्योगों को वाटर कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है. चूंकि वे होल्डिंग टैक्स देने को तैयार नहीं हैं. बता दें कि स्थानीय मंत्री सालडीह के 560 लोगों को वाटर कनेक्शन निःशुल्क दिलाने का दम्भ भर रहे हैं. वह तो वैसे भी उन्हें केवल होल्डिंग टैक्स रसीद और आधार कार्ड के जरिये मिलना था.
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पुराने पाइप लाइन से कनेक्शन लेने के लिए लगते हैं मिनिमम 7 हजार रुपए
जलापूर्ति योजना के नोडल अधिकारी अजय कुमार की माने तो नई स्कीम में अमृत योजना के तहत कनेक्शन निःशुल्क देना है. दूसरी ओर आज भी पुरानी जलापूर्ति लाइन से कनेक्शन लेने के लिए आम जनता को कम से कम 7000 रुपये शुल्क देने पड़ते हैं. यह इन दिनों पानी की अनुपलब्धता की वजह से बंद है. पुरानी पाइप लाइन से कनेक्शन विशेष परिस्थितियों में ही दी जाती है. चूंकि पुरानी जलापूर्ति के लिए महज 5 एमजीडी क्षमता का ही 55 वर्ष पुराना वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सीतारामपुर में उपलब्ध है. इससे आदित्यपुर के महज 11 हजार परिवारों को कनेक्शन देकर उन्हें पाइप लाइन जलापूर्ति का लाभ दिया जा रहा है. बाकी के करीब 40 हजार परिवार भूजल की बोरिंग पर निर्भर हैं. इनका बोरिंग हर वर्ष फरवरी आते ही सूख जाता है और लोगों को तब दर बदर भटकना पड़ता है.
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