- चयनित बीमा कंपनी को कार्यादेश देने की मांग,
Jamshedpur (Sunil Pandey) : विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने आज यहां एक बयान जारी कर कहा कि कहा कि राज्य सरकार के कर्मियों के कैशलेस इलाज की फाइल दो माह से स्वास्थ्य मंत्री दबाकर बैठे हैं. कहीं मंत्री चयनित बीमा कंपनी से निगोसिएशन तो नहीं कर रहे हैं ? अगर ऐसा है तो यह राज्य एवं राज्यकर्मियों के हित में नहीं हैं. विधायक ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए निविदा से चयनित बीमा कंपनी को शीघ्र कार्यादेश देने की मांग की.
इसे भी पढ़ें : लालू व तेजस्वी पर बरसे मांझी, कहा- पहले बाप ने और अब बेटे ने गाली दी
दो महीने से मंत्री के पास पड़ी है फाइल
सरयू राय ने अपने बयान में कहा है कि निविदा में प्रीमियम की न्यूनतम दर वाली बीमा कंपनी को उसके चयन का पत्र दे दिया गया है, निविदा समिति ने उसके चयन की मंज़ूरी दे दी है, वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति इस पर मिल गई है. अब बीमा कंपनी को कार्यादेश जारी करने के बदले संचिका स्वास्थ्य मंत्री के पास दो महीने से पड़ी हुई है. उन्होंने सवाल उठाया है कि निविदा समिति के निर्णय के बाद संचिका मंत्री के पास जाने और लंबित रहने का कारण क्या हो सकता है. क्या मंत्री ने संचिका मांगी है. वित्त और विधि विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद निविदा की संचिका मंत्री के पास लंबित रहने का क्या तुक है.
इसे भी पढ़ें : धनबाद : बीसीसीएल के राजापुर प्रोजेक्ट में ओबी स्लाइडिंग, धूल के गुब्बार से ढका शहर
2023 में निकाली गई थी निविदा
विधायक ने बताया कि इसके पहले भी 2023 में निविदा निकली थी. तीन सरकारी बीमा कंपनियों ने निविदा में भाग लिया था. एक तकनीकी दृष्टि से अयोग्य हो गई तो बाकी दो में जिसका दर न्यूनतम था उसे कार्यादे़श देने के बदले निविदा ही रद्द कर दी गई. इस बार निविदा समिति, वित्त विभाग और विधि विभाग की सहमति के बावजूद बीमा कंपनी के चयन की संचिका स्वास्थ्य मंत्री के यहां लटकी हुई है. मंत्री कह रहे हैं कि तकनीकी अड़चनों को दूर किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें : Adityapur : मरीज उठा रहे हैं मुफ्त ओपीडी के साथ कई चिकित्सा सुविधा में छूट का लाभ
सचिव समेत अन्य अधिकारी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते
विधायक ने पूछा है कि निविदा समिति, विधि विभाग की स्वीकृति के बाद कौन सी ऐसी तकनीकी अड़चन है जिसे मंत्री दो महीना से दूर कर रहे हैं. यह अड़चन तकनीकी है या वित्तीय है इसका खुलासा होना चाहिए. मंत्री के स्तर पर न्यूनतम दर वाली कंपनी से निगोसिएशन होता है तो इसकी ज़िम्मेदारी से सचिव समेत अन्य अधिकारी नहीं बच सकते हैं. बीमा कंपनी यदि कोई अवैधानिक वार्ता में लगी है तो इसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल कंपनी की साख पर पड़ेगा, बल्कि इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा की गुणवता भी प्रभावित होगी. राज्य सरकार को करोड़ों का हो रहा नुकसान अलग है. विधायक ने स्वास्थ्य सचिव से मंत्री के यहां से शीघ्र संचिका मंगाकर निविदा समिति के निर्णय को लागू कराने की मांग की.
इसे भी पढ़ें : मोतिहारी: 6 करोड़ के चरस के साथ तीन तस्कर गिरफ्तार
Leave a Reply