NewDelhi : मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त जैसे उच्च पदों के लिए बड़ी संख्या में शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, इतिहासकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कानूनी, सामाजिक सेवा पृष्ठभूमि के लोगों ने भी आवेदन किया था, लेकिन सर्च कमेटी को उन आवेदनों में से एक भी उपयुक्त, स्वतंत्र उम्मीदवार नहीं मिला. क्या बाकी लोग अनुपयुक्त थे, या उनमें वह प्रतिभा या योग्यता नहीं थी, जो सिफारिश किये गये लोगों में है.
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सर्च कमेटी ने मनमाने ढंग से सिफारिशें की हैं
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने यह टिप्पणी की है. बता दें कि अधीर रंजन चौधरी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों को नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त चयन समिति के सदस्य हैं. उन्होंने खोज समिति द्वारा की गयी सभी सिफारिशों को वापस लेने की मांग करते हुए यह बात कही.
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सर्च कमेटी ने मनमाने ढंग से सिफारिशें की हैं, बिना कोई कारण बताये कि शॉर्टलिस्ट किये गये उम्मीदवार उन सभी पदों के लिए अधिक उपयुक्त क्यों हैं, जिन्होंने उक्त पदों के लिए आवेदन किया था.
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चयन समिति ने ज्यादातर नौकरशाहों को चुना है
अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि चयन समिति ने ज्यादातर नौकरशाहों को चुना है, जिससे यह सेवानिवृत्त सिविल सेवकों के आरामदायक क्लब के रूप में दिखाई दे रहा है, जिन्हें अपने राजनीतिक आकाओं के प्रति दिखाई गयी प्रतिबद्धता के लिए सेवानिवृत्ति के बाद यह उपहार प्रदान किया गया है. उन्होंने कहा कि यह साफ है कि अस्वीकार किये गये लोग उन लोगों से अधिक योग्यता नहीं भी रखते हों, तब भी कम भी नहीं है. यानी उनके समान हैं.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन किया है
कहा कि उन्होंने भी सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, हालांकि, सर्च कमेटी ने स्पष्ट रूप से किसी विशेष उम्मीदवार को चुनने या अस्वीकार करने में मानदंड आधारित दृष्टिकोण या ग्रेडिंग का उपयोग नहीं किया है. चौधरी ने कहा है कि समिति ने अंजलि भारद्वाज और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन किया है, जिसमें खोज समिति को विशेष रूप से उक्त पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के नाम और मानदंड सार्वजनिक करने के निर्देश दिये गये थे.