Adityapur (Sanjeev Mehta) : आदित्यपुर के ढाई लाख आबादी के लिए बना शहरी स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है. आदित्यपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में घुटने भर पानी जमा है, जो यहां आने वाले संक्रमित मरीजों को दवा देने के बजाय डेंगू, मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियां देने में सक्षम है. छह बेड के इस शहरी स्वास्थ्य केंद्र में इमरजेंसी सेवा उपलब्ध नहीं है. यहां शाम 5 बजे के बाद कोई चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहते हैं, जरूरी दवाइयां भी नहीं नहीं मिलती है. बीपी, शुगर और खांसी बुखार के दवाइयों का भी टोटा है. अस्पताल के ओपीडी रजिस्टर से ज्ञात होता है कि यहां प्रतिदिन 100 से ज्यादा मरीज आते हैं. बावजूद इसके यहां मरीजों को स्लाइन और खून चढ़ाने तक की व्यवस्था नहीं है. अस्पताल परिसर में महीनों से घुटने भर पानी जमा है, जो दीवारों को कमजोर करने का काम कर रहा है. साथ ही इस पानी में डेंगू और मलेरिया के मच्छर पनप रहे हैं, जिसपर किसी का ध्यान नहीं है.
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मरीजों को स्लाइन व खून चढ़ाने की व्यवस्था नहीं है
आदित्यपुर शहरी स्वास्थ्य केन्द्र के बारे में टीएमसी नेता बाबू तांती कहते हैं कि यहां कम से कम मरीजों को स्लाइन और खून चढ़ाने की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए. आदित्यपुर में अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर किस्म के परिवार रहते हैं जिनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे नर्सिंग होम या टीएमएच जैसे अस्पताल में जाकर अपना इलाज करा सकें. यहां शाम ढलते ही चिकित्सक नहीं मिलते हैं. अस्पताल परिसर समतल तक नहीं है जिसके वजह से यहां पानी जमा होता है. उन्होंने बताया कि वे कई बार जिले के सिविल सर्जन को यहां की स्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ है, कुछ दिन पहले उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर इस बात से अवगत कराया है.
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रात में नर्स करती है इलाज
अस्पताल में इलाज कराने आये मरीज सनातन मांझी बताते हैं कि वे रात में अपनी पत्नी की तबीयत बिगड़ने पर यहां उसे लेकर आये हैं, लेकिन यहां कोई डॉक्टर नहीं मिला. एक हेड नर्स ने उसकी पत्नी को कुछ दवाइयां दी हैं जिसके बाद से उसकी हालत में सुधार है, अब दिन में डॉक्टर आएंगे तो वे देखकर और दवा देंगे. वे कहते हैं कि नर्स नहीं होती तो उसकी पत्नी की जान जा सकती थी.
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