- सरायकेला में मानसून सामान्य से भी कम
- बारिश नहीं होने से सुखाड़ की स्थिति
- जिला कृषि पदाधिकारी की अपील- कम पानी में होने वाली फसलों की करें खेती
Adityapur (Sanjeev Mehta) : सरायकेला खरसावां जिले में जुलाई का औसत वर्षापात 253 मिमी है. इस साल 25 जुलाई तक मात्र 40 एमएम बारिश हुई है, जो कृषि कार्य के लिए नाकाफी है. बारिश के बिना जिले में कृषि कार्य नहीं के बराबर हुआ है. सुखाड़ का बादल मंडरा रहा है. बारिश नहीं होने के कारण किसान काफी निराश हो गए हैं. जिले के कई किसान अब दलहन और तिलहन बोने के लिए खेत जोतना शुरू कर चुके हैं. यह फसल कम पानी में अच्छी पैदावार देती है. कुछ किसान रोजगार की तलाश में पलायन की तैयारी भी कर रहे हैं. इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि धान की खेती के लिए उचित समय 15 जून से 25 जुलाई के बीच होता है. इस अवधि में धान की अच्छी उपज के लिए मानसून का सक्रिय रहना आवश्यक है. हालांकि इस वर्ष मानसून की स्थिति चिंताजनक रही है. 15 जून से 25 जुलाई के बीच पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है, जिससे धान के बिचड़े तैयार नहीं हो पाए हैं. धान की खेती में देरी और पर्याप्त वर्षा की कमी से उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. किसान भाइयों को इस परिस्थिति में उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है. अब यदि धान की बुआई की जाती है तो अच्छी उपज मिलने की संभावना बहुत कम है.
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मक्का, ज्वार, बाजरा की सूखे में भी अच्छी होती है उपज
उन्होंने कहा किसान वैकल्पिक फसल के रूप में दलहन, तिलहन और अन्य कम पानी वाली फसलें उगा सकते है. मूंग, उड़द, सोयाबीन, और तिल जैसी फसलें कम समय और कम पानी में अच्छी उपज देती हैं. इसके अतिरिक्त मक्का, बाजरा और ज्वार जैसी फसलों पर भी विचार किया जा सकता है, जो सूखे की स्थिति में भी बेहतर उत्पादन दे सकती हैं. उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भी मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसानों को वैकल्पिक फसलों की खेती करने की सलाह दी जा रही है. इससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता है, बल्कि जल संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य भी बनाए रखा जा सकता है. गम्हरिया प्रखंड के राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत किसान सोखेन हेम्ब्रम कहते हैं, अब तक बिचड़े भी तैयार नहीं हो पाए हैं. ऐसे में धान की रोपाई तो किसान भूल चुके हैं. अब हमलोग सरकार की ओर आस लगाए बैठे हैं.
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