Adityapur (Sanjeev Mehta) : एनआईटी जमशेदपुर कैम्पस में शनिवार को 1970, 1972 और 1973 बैच का गोल्डेन जुबिली ईयर और 1992, 1993 एवं वर्ष 1994 के पूर्ववर्ती छात्रों का सिल्वर जुबली एलुमनी मीट में करीब 200 पूर्ववर्ती छात्रों का एनआईटी कैम्पस में जुटान हुआ. सारे एलुमनी एक दूसरे से मिलकर बीते दिनों की बातों को याद किए. जिनमें कुछ विदेश में रह रहे छात्र भी शामिल थे. एलुमनी छात्रों ने वर्तमान छात्रों को एंटरप्रेन्योरशिप में सहयोग का आश्वासन दिया. बता दें कि एनआईटी जमशेदपुर में हर वर्ष एलुमनी मीट का आयोजन होता है. इस बार गोल्डन जुबली और सिल्वर जुबिली बैच का समागम हुआ. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जमशेदपुर में पूरे 2 साल बाद एलुमनी मीट का आयोजन शनिवार को हुआ है.
इसे भी पढ़ें : धनबाद: ग्रामीणों ने जानवरों से लदे वाहन को पकडा, चालक की धुनाई व फजीहत
कोरोना की वजह से 2 साल नहीं आयोजित हुआ एलुमनाई मीट
चूंकि कोरोना की वजह से पिछले 2 साल से संस्थान में एलुमनाई मीट का आयोजन स्थगित था. इस बार साल 1970, 1972, 1973 का गोल्डन जुबिली एवं 1992, 1993 एवं 1994 के पूर्ववर्ती छात्रों का सिल्वर जुबिली समागम सम्पन्न हुआ. यह कार्यक्रम संस्थान के पूर्ववर्ती छात्र संघ द्वारा संस्थान परिसर स्थित टीएसजी भवन में आयोजित हुआ. इस साल के आयोजन में विशेष रूप से भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के पूर्व सचिव राम विनय शाही, अमेरिका से हॉट फोर्ड विश्वविद्यालय से प्रोफेसर चितरंजन सहाय, एडमिरल अनिल कुमार वर्मा एवं आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर दीपक मजूमदार समारोह में विशेष रूप से पूर्ववर्ती छात्र के रूप में सम्मानित किए गए.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : झारखंड में जल्द लागू होगी इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी
राष्ट्रपति पुरस्कार संस्थान की देन
1970 बैच के छात्र एडमिरल अनिल कुमार ने कहा कि इस संस्थान ने हमें सबकुछ दिया. आज मुझे राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया यह इसी संस्थान की देन है. मैं एलुमनी होने के नाते इस संस्थान के लिए जो बन पाएगा करूंगा.
अनिल कुमार छात्र 1970 बैच
मैकेनिकल इंजिनियरिंग
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : शहर के 500 गरीब छात्रों के बीच एसएसपी 30 जनवरी को वितरण करेंगे मोबाइल
संस्थान में दुबारा आकर पुरानी यादें ताजा हुई
1994 बैच के छात्र सर्वेश्वर उपाध्याय कहते हैं कि आज इस संस्थान में दोबारा आकर बीते दिनों की यादें ताजा हो गई. जिस होस्टल में रहता था, जिस किचन में दोस्तों के साथ खाना खाया वहां बैठकर दोबारा समोसे व चाट खासकर पुरानी दिनों की यादें ताजा हो गई. इतने दिनों में संस्थान में काफी कुछ तरक्की किया है यह देखकर बेहतर अनुभव कर रहा हूं.
सर्वेश्वर उपाध्याय, छात्र 1994 बैच
मैकेनिकल इंजिनियरिंग