Adityapur (Sanjeev Mehta) : कोल्हान के औद्योगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की जांच के लिए स्मोग टावर लगाए जाएंगे. झारखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने एक्सपर्ट कमेटी द्वारा तैयार कोल्हान के तीनों जिले के कंपनियों के बॉयलर और फर्नेश का डाटा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भेज दिया है. जानकारी देते हुए पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उद्योगों की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यह कदम उठाया है. कोल्हान के तीनों जिले सरायकेला, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम के कंपनियों के बॉयलर और फर्नेश का डाटा उनसे मांगा गया था जिसे उन्होंने एक्सपर्ट कमेटी के द्वारा तैयार करवा कर भेजा है.
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कंपनियां मानक स्टैंडर्ड को मेन्टेन नहीं कर रही है
उन्होंने बताया कि यह डाटा पूर्व में भी मांगा गया था, जिसे पर्षद ने भेजा था लेकिन एनजीटी ने वर्ष 2023 तक की अद्यतन स्थिति का ताजा रिपोर्ट दोबारा मांगा था. क्षेत्रीय निदेशक जितेंद्र कुमार ने बताया कि इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी. जिसमें एनजीटी के निर्देशानुसार एक्सपर्ट को शामिल किया गया था जो फील्ड और ऑफिसियल फाइल से डाटा तैयार किए. क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि इसके तहत मुख्यत: पावर प्लांट और स्पॉन्ज आयरन कंपनी के फर्नेश और बॉयलर की रिपोर्ट तैयार कर भेजनी थी, जिसमें उत्पादन के अनुसार बॉयलर की ऊंचाई और मोटाई के साथ ही कंपनी में लगाए गए एंटी पॉल्यूशन संयंत्रों की स्थिति की रिपोर्ट को संग्रह कर भेजी गई है. बॉयलर से कई प्रकार की जहरीली गैस निकलती हैं, जिसके लिए मानक के अनुसार बॉयलर की ऊंचाई रखनी होती है लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि कई कंपनियां इस मानक के स्टैंडर्ड को मेन्टेन नहीं करते हैं.
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चाइना की तरह औद्योगिक शहरों में लगेंगे स्मोग टावर
बता दें कि आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कई कंपनियों जो आयरन ओर, स्पंज आयरन, पावर उत्पादन करने वाली कंपनियां हैं जिसके वजह से आये दिन आसपास के ग्रामीण आवाज बुलंद करते रहे हैं. लेकिन इन कंपनियों के विरुद्ध आज तक प्रदूषण फैलाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं होती है. जिनमें हाल ही में कांड्रा में स्थित नीलाचल आयरन एंड पावर लिमिटेड कंपनी शामिल है जिनके विरुद्ध आसपास के ग्रामीणों ने आंदोलन भी किया था. कंपनी के पास के गांव रघुनाथपुर और रतनपुर के ग्रामीणों ने कंपनी के वायु प्रदूषण की वजह से जमीन पर काली परत पड़ने, तालाबों के पानी प्रदूषित होने और इसका असर फसलों की क्षति के रूप में होने की बात उठाई थी. पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी ने बताया कि उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैस को नियंत्रित करने के लिए चाइना की तरह देश के औद्योगिक शहरों में स्मोग टावर लगाने की तैयारी चल रही है. स्मोग टावर जहरीली गैस को स्मोक कर उसे केक के रूप में परिवर्तित कर डिस्पोजल करती है. उन्होंने बताया कि जो भी इंडस्ट्री से जहरीली गैस निकलती है वह ठंड में नीचे रहती है, यही वजह है कि ठंड में कोहरा व कुहासा की शक्ल में ये जानलेवा गैसे हमें ज्यादा प्रभावित करती है. लेकिन गर्म वातावरण में गैस ऊपर उड़ती है जिससे कोहरा नहीं होता है. इन सब के लिए बॉयलर ही एक मात्र विकल्प है जिसका स्टैण्डर्ड मानक होना जरूरी है.
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