Adityapur : उद्योगों का एयर पॉल्यूशन रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से कोल्हान के तीनों जिलों सरायकेला-खरसावां, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम की कंपनियों के बॉयलर और फर्नेश का डाटा मांगा है. इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने एक्सपर्ट कमेटी बनाई है. पर्षद के क्षेत्रीय निदेशक जीतेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि एनजीटी के निर्देशानुसार एक्सपर्ट की कमेटी बनाई गई है, जो फील्ड और ऑफिसियल फाइल से डाटा तैयार करने में जुट गई है. क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि इसमें पावर प्लांट और स्पंज आयरन कंपनी के फर्नेश और बॉयलर की रिपोर्ट तैयार की जा रही है. जिसमें उत्पादन के अनुसार बॉयलर की ऊंचाई और मोटाई के साथ ही कंपनी में लगाए गए एंटी पॉल्यूशन संयंत्रों की स्थिति की रिपोर्ट तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया कि बॉयलर से कई प्रकार की जहरीली गैस निकलते हैं, जिसके लिए मानक के अनुसार बॉयलर की ऊंचाई रखनी होती है, लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि कई कंपनियों द्वारा इस मानक के स्टैंडर्ड को मेन्टेन नहीं किया जा रहा है.
स्मोक टावर लगाने की तैयारी
पर्षद के निदेशक ने बताया कि देश को उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैस को नियंत्रित करने के लिए चीन की तरह देश के औद्योगिक शहरों में स्मोक टावर लगाने की तैयारी हो रही है. स्मोक टावर जहरीली गैस को स्मोक कर उसे केक के रूप में परिवर्तित कर डिस्पोजल करती है.
ठंड में गैस नीचे और गर्म वातावरण में ऊपर उठता है : जितेंद्र
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय निदेशक जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जो भी इंडस्ट्री से जहरीली गैस निकलती है वह ठंड में नीचे रहती है. यही वजह है कि ठंड में कोहरा व कुहासा की शक्ल में ये जानलेवा गैसेस हमें ज्यादा प्रभावित करती है, लेकिन गर्म वातावरण में गैस ऊपर उड़ती है, जिससे कोहरा नहीं होता है. इन सब के लिए बॉयलर ही एकमात्र विकल्प है, जिसका स्टैंडर्ड मानक होना जरूरी है. एनजीटी देशभर के औद्योगिक शहरों में अभी इसी का डेटा तैयार कर स्मोक टावर स्थापित करने की रणनीति बना रही है.
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