Ranchi: कोरोना झारखंड के सभी जाति और धर्म में समान रूप से फैल रहा है. यह महामारी समाज के किसी तबके को नहीं छोड़ रहा है. प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी ऑल इज वेल है, ऐसा नहीं कहा जा सकता. रांची के स्वर्णरेखा नदी के तट पर घाघरा श्मशान में बदइंतजामी की खबर मीडिया में छायी हुई है. हालात यह है कि रांची डीसी को रात के ढाई बजे दलबल के साथ घाघरा जाकर इंतजाम देखना पड़ता है. बताया जा रहा है कि घाघरा श्मशान में अब तक करीब 50 कोरोना संक्रमित शवों को जलाया जा चुका है. इसके लिए नगर निगम से लेकर रांची प्रशासन को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा.
कब्रिस्तानों में रोज आ रहे हैं कोरोना संक्रमितों के शव
हिंदू धर्म के अलावा दूसरे धर्म में भी कोरोना समान रूप से आतंक मचा रहा है. लगातार.. की टीम यह जानना चाही कि श्मशान से इतर कब्रिस्तानों का क्या हाल है. टीम सबसे पहले डोरंडा स्थित कब्रिस्तान पहुंची. दिन के करीब 12 बज रहे होंगे. पूरे कब्रिस्तान में सिर्फ एक शख्स मिला. इस मामले पर पूछे जाने पर उन्होंने किसी तरह की जानकारी होने से मना कर दी. वहां लिखे एक नंबर पर फोन किया तो पता चला कि डोरंडा कब्रिस्तान में जमीन की कमी है. जमीन खोदने पर पानी निकल जाता है. इसलिए सभी कोरोना संक्रमितों के शवों को रातू रोड कब्रिस्तान भेज दिया जा रहा है.
रातू रोड पहुंचने पर कब्रिस्तान के केयर टेकर नौशाद खान ने बताया कि जैसे ही किसी मुस्लिम समुदाय के शख्स की मौत कोरोना संक्रमिन से होती है. एसडीएम ऑफिस से उन्हें फोन आ जाता है. वो दो घंटे का समय लेते हैं और सारी तैयारी कर लेते हैं. शव आते ही उसे करीब 12 फीट के गढ्ढे में लोगों की मदद से डाल दिया जाता है और प्लाई से ढक कर मिट्टी दे दी जाती है. उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने में अबतक आठ लोगों को इसी तरह दफन किया जा चुका है. मंगलवार को भी दो शव आने वाले थे.
वहीं कांटा टोली में ईसाई धर्म के कब्रिस्तान में भी पुख्ता इंतजाम हैं. वहां मौजूद एक शख्स ने बताया कि कोरोना संक्रमित शवों को यहां दफनाया जा रहा है. किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है. कोरोना संक्रमितों के शव को दफनाने के लिए जेसीबी से जमीन खोदी जाती है. उसके बाद मेडिकल से जुड़े सारी शर्तों को पूरा करते हुए शव को गढ्ढे में दफना दिया जाता है. उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने में अबतक यहां तीन शवों को दफनाया जा चुका है. किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है.