Chaibasa / Jhikpani : 1985 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे को मानव संसाधन विकास और सूचना प्रसारण मंत्रालयों में सचिव से सेवानिवृत्त होने के पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सलाहकार नियुक्त किया गया है. उनका जुड़ाव झारखंड में चाईबासा जिले से सबसे अधिक है लेकिन सिर्फ पशु पालन विभाग के चारा घोटाले के खुलासे के कारण ही नहीं बल्कि उन्होंने कई ऐसे ऐतिहासिक काम किये जिन्हें यहां का हो समुदाय आज भी याद करता है. अमित खरे ने हो भाषा बारंग क्षिति के विकास के लिये बहुत काम किये. 1997 के दौर में हो भाषा का लिपि बारंग क्षिति पर जोरदार प्रसार-प्रसार चल रहा था, जो अब तक जारी है. अमित खरे ने हो भाषा का ज्ञान अर्जित करने के लिये यहां के हो भाषा के विद्वान व लेखकों से संपर्क किया. हो भाषा का ज्ञान चाईबासा में उपायुक्त रहते हुए ही अमित खरे ने सीख लिया.
2004 से बंद पड़ गया है झींकपानी का बारंग क्षिति लिपि अनुसंधान केंद्र
1997 में हो भाषा के विद्वान सह लेखक चरण हांसदा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बारंग क्षिति भाषा प्रशिक्षण केंद्र खोलने को लेकर एक मांग पत्र सौंपा गया था. जिसकी स्वीकृति करते हुए इस क्षेत्र में बारंग क्षिति लिपि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से टोंटो प्रखंड के बड़ा झींकपानी के रामसाई में एक बारंग क्षिति लिपि अनुसंधान केंद्र बनवाया, जो आज भी है. लेकिन सरकार के उदासीन रवैये की वजह से वर्ष 2004 से बंद पड़ी हुई है. इसे आरंभ करने को लेकर कई प्रयास किये गए, लेकिन असफल हो गये. एक समय यहां दूर-दराज के हो समुदाय के लोगा बारंग क्षिति लिपि सीखने के लिये पहुंचते थे. हो भाषा के लेखक डोबरो बुड़ीउली ने कहा कि अमित खरे के कार्यकाल में हो समुदाय के लोगों को काफी लाभ पहुंचा है. वे यहां के स्थानीय लोगों से मिलकर रहते थे. हर मागे पर्व अथवा हो समुदाय का कोई भी पर्व हो, उनका समाज के लोगों के घर जाना अनिवार्य होता था. उन्होंने चारा घोटालों का उजागार कर बड़ा काम किया है. लेकिन हमारे समुदाय की भाषा को बढ़ावा देने का भी काम किया है जिसे कभी बुलाया नहीं जा सकता है. आज बडा झींकपानी के बारंग क्षिति लिपि प्रशिक्षण केंद्र बंद हो चुका है, सरकार से मांग है कि इसे शुरू कराया जाये. ताकि हो समुदाय के लोगों को लाभ मिल सके.
187 विद्यार्थी जेपीएससी परीक्षा में लहरा चुके परचम
इस प्रशिक्षण केंद्र की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि 2003 में हो भाषा शिक्षक की बहाली के लिये आयोजित जेपीएससी परीक्षा में इस संस्था के 187 अभ्यर्थियों ने अप्रत्याशित रूप से शानदार सफलता हासिल की थी. इस संस्था का यही वह स्वर्णिम दौर था, जब इसके विद्यार्थियों की संख्या 1500 तक पहुंच गयी थी. कक्षाओं में तिल रखने की जगह नहीं होती थी. जेपीएससी पास करने वाले अभ्यर्थियों को केवल नौकरी ज्वाइन करना बाकी था. उसी बीच राज्य सरकार द्वारा उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गयी. कहा गया कि इन अभ्यर्थियों ने जिस संस्था से टीचर ट्रेनिंग ली है, वह राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एनसीटीइ से मान्यता प्राप्त नहीं है.
1996 में जब एक ही परिवार के कई लोगों की डायन के संदेह में कर दी गई थी हत्या
तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे के कार्यकाल में डायन को लेकर जागरूकता अभियान जोरों पर चल रहा था. 1997 में मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के लुपुंगुटू के एक परिवार के लगभग तीन से चार लोगों की हत्या डायन के संदेश में कर दी गई थी. इस घटना से अमित खरे को बड़ा अघात पहुंचा और समाज में इसको खत्म करने का संकल्प कर लिया. उन्होंने संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने के लिये पूरे जिले के अधिकारियों को लगा दिया. कुछ दिनों के बाद सभी की गिरफ्तार हो गयी. उसी परिवार की एक सदस्य मेंजो तियू अपने एक छोटे से बच्चे के साथ बस स्टैंड में डर कर छुपी हुई थी. जब इसकी जानकारी उपायुक्त अमित खरे को मिली तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए उस महिला के लिये रहने की व्यवस्था की. जिसके बाद जीवन यापन के लिये समाहरणालय में अस्थायी रूप से नौकरी भी दी गई. तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी समसेर सिंह को आदेश दिया कि इन्हें सरकार से मिलने वाली हर सुविधा मुहैया करायी जाये. जिसके बाद मेंजो तियू को कई सुविधा भी मिली.