NewDelhi : मानहानि केस(मोदी सरनेम) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने के बाद रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ द पीपुल एक्ट, 1951 के सेक्शन 8 (3) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिये जाने की खबर है. इस सेक्शन के तहत किसी जनप्रतिनिधि के किसी मामले में दोषी करार होने और कम से कम दो साल की सजा मिलने पर उसकी संसद सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती है. याचिका के अनुसार अपराध किस प्रकार का है और कितना गंभीर है, यह देखे बिना जनप्रतिनिधि की सदस्यता खत्म कर देना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है. पीएचडी स्कॉलर और सोशल एक्टिविस्ट आभा मुरलीधरन ने जनहित याचिका दाखिल की है.
Plea filed in SC against automatic disqualification of convicted legislators
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— ANI Digital (@ani_digital) March 25, 2023
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डिस्क्वॉलिफिकेशन का आधार क्या है, यह साफ होना जरूरी
याचिका में कहा गया है कि कोड फॉर क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC), 1973 के तहत अपराध कैसा है और कितना गंभीर है, यह देखते हुए उसे संज्ञेय या गैर-संज्ञेय अपराध और जमानती या गैर-जमानती अपराध की कैटेगरी में रखा जाता है. इस कानून के अनुसार अगर किसी सांसद की सदस्यता भंग की जानी है, तो CrPC के तहत अपराध किस तरह का है इसके साथ-साथ डिस्क्वॉलिफिकेशन का आधार साफ किया जाना चाहिए, न कि सामूहिक तरीके से.
यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है
याचिकाकर्ता ने यह घोषणा किये जाने का अनुरोध किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8(3) के तहत स्वत: अयोग्यता मनमानी और अवैध होने के कारण संविधान के विरुद्ध है. याचिका में दावा किया गया है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की विधायी निकायों से स्वत: अयोग्यता उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं द्वारा उन्हें सौंपे गये कर्तव्यों का स्वतंत्र रूप से निर्वहन करने से रोकती है, जो लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है.
यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है
अधिवक्ता दीपक प्रकाश के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, वर्तमान परिदृश्य में कथित रूप से संबंधित सदस्य के खिलाफ अपराधों की प्रकृति, गंभीरता पर गौर किये बिना सीधे सीधे अयोग्यता का प्रावधान है और इससे ‘स्वत:’ अयोग्यता होती है, जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है क्योंकि विभिन्न दोषसिद्धियां अपीलीय चरण में उलट जाती हैं. ऐसी परिस्थितियों में, जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे सदस्य का मूल्यवान समय व्यर्थ हो जाता है.
संसद के लिए चुने गये सदस्य लोगों की आवाज हैं
गांधी की अयोग्यता के संबंध में, याचिका में कहा गया है कि दोषसिद्धि को चुनौती दी गयी है, लेकिन 1951 अधिनियम के तहत वर्तमान अयोग्यता नियमों के संचालन, अपील की स्थिति, अपराधों की प्रकृति, अपराधों की गंभीरता और उसका समाज एवं देश पर प्रभाव का विचार नहीं किया गया और सीधे सीधे स्वत: अयोग्य करार देने का आदेश दिया गया. इसमें कहा गया है कि संसद के लिए चुने गये सदस्य लोगों की आवाज हैं और वे अपने उन लाखों समर्थकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को अक्षुण्ण रखते हैं जिन्होंने उन्हें चुना है.