Amarnath Pathak
Hazaribagh: हाइकोर्ट के आदेश के बाद अब प्लस टू शिक्षकों के सर्विस बुक में अंकित लाल दाग हटेगा. क्लीन चिट मिलने के बाद निंदन सजा की जद में आए शिक्षकों का मन बाग-बाग हो गया है. दरअसल, वर्ष 2016 की जैक बोर्ड की वार्षिक परीक्षा में कुछ विषयों के रिजल्ट खराब होने पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने बिना किसी जांच पड़ताल और बगैर किसी कारण पृच्छा के विभिन्न विषयों के शिक्षकों का इंक्रीमेंट काटने और निंदन की सजा का फरमान जारी किया था, जिसे हाईकोर्ट ने गलत ठहरा दिया. कोर्ट ने कहा कि बच्चों का हाईस्कूल अथवा इंटर की परीक्षा पास नहीं होना, यह प्रमाणित नहीं करता कि शिक्षकों ने अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभाया.
वर्ष 2017 में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के इंक्रीमेंट काटने के आदेश को शिक्षक पुरुषोत्तम कुमार पाठक (वर्तमान में पीजीटी, उत्क्रमित प्लस उच्च विद्यालय तिलरा-कवातू इचाक, हजारीबाग) तत्कालीन पीजीटी प्लस टू हाई स्कूल रमना (गढ़वा), रामजी प्रसाद सिंह प्रधानाचार्य प्लस टू हाई स्कूल रमना, नगीना राम प्रधानाचार्य प्लस टू हाई स्कूल मेराल, ओम प्रकाश प्रसाद, पीजीटी प्लस टू उच्च विद्यालय भवनाथपुर, जारद हुसैन पीजीटी उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय लवाही कला गढ़वा आदि ने कोर्ट में चुनौती दी थी. शिक्षकों का कहना था कि ठीक से रिजल्ट खराब होने के कारणों की जांच किए बिना ही उन्हें दोषी करार कर दिया गया है, और इंक्रीमेंट काटने का आदेश जारी कर दिया गया.
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केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोई दंड केवल आरोपियों के दुर्व्यवहार या अनुचित बर्ताव पर ही दिया जाना चाहिए. इसे कोई सामान्य त्रुटि या चूक, दुर्व्यवहार या अनुचित बर्ताव नहीं कहा जा सकता. इस केस में विभाग यह साबित नहीं कर पाया कि शिक्षकों ने कोई दुर्व्यवहार किया है अथवा अपना कार्य-कर्तव्यों को निष्ठा से नहीं निभाया. केवल इस आधार पर कि छात्र हाईस्कूल या इंटरमीडिएट परीक्षा पास नहीं कर पाया, यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि शिक्षकों ने बच्चों को ठीक से नहीं पढ़ाया या अपने कर्तव्य पर ध्यान नहीं दिया. शिक्षकों पर आरोप का यह कोई आधार नहीं बनता. लेकिन विभागीय कार्रवाई के आदेश से यही स्पष्ट होता है कि छात्रों के पास नहीं होने से ही शिक्षकों को दंडित करने का निर्णय लिया गया है, जबकि शिक्षकों पर अन्य कोई दुर्व्यवहार का आरोप सिद्ध नहीं हो सका है.
ऐसे में 30 जनवरी 2017 के विभागीय आदेश को निरस्त करते हुए कोर्ट ने शिक्षकों को उनके वेतनवृद्धि का लाभ पूर्ववत दिए जाने का आदेश दिया है और यह भी कहा है कि अगर यह दंड उनके सर्विस बुक में दर्ज कर दिया गया हो, तो उसे वहां से बिल्कुल हटाया जाना चाहिए. इस फैसले से शिक्षकों को न्याय मिला है और उनमें खुशी की लहर दौड़ गई है.
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क्या कहते हैं शिक्षक पुरुषोत्तम पाठक
तत्कालीन पीजीटी प्लस टू हाई स्कूल रमना (गढ़वा) और वर्तमान में पीजीटी, उत्क्रमित प्लस उच्च विद्यालय तिलरा-कवातू इचाक, हजारीबाग के शिक्षक पुरुषोत्तम कुमार पाठक कहते हैं कि उन पर हुई कार्रवाई से उनका परिवार भी प्रभावित हुआ था. चतरा सदर प्रखंड स्थित लोआगढ़ा निवासी पुरुषोत्तम पाठक कहते हैं कि इस कार्रवाई का सदमा उनके पिता कृष्णकांत पाठक सहन नहीं कर पाए. बेटे की फिक्र में उनका शरीर पैरालाइज्ड हो गया. अब जाकर उन्हें और उनके परिवार को खुशी मिली है. वैसे न्यायालय पर उन्हें सही न्याय मिलने का पूरा भरोसा था.