Ranchi: ब्लैक फंगस को झारखंड में महामारी घोषित किया गया है. बावजूद इसके रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण गिरिडीह जिले के पचंबा की रहने वाली 45 वर्षीय उषा देवी की आंखों का संक्रमण एक आंख से फैलकर ब्रेन तक पहुंच गया है. इलाज में लापरवाही और आर्थिक तंगी के कारण उषा के बच्चे सरकार से इच्छा मृत्यु मांग रहे थे. उषा के बच्चे गौरव और पूजा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास भी गए थे, लेकिन वहां से भी वो निराश होकर लौटे.
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रिम्स निदेशक ने कहा- ब्लैक फंगस मरीजों के लिए दवा की नहीं हो रही सप्लाई
बुधवार को इस मामले पर झारखंड उच्च न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने सुनवाई के दौरान सरकार को भी फटकार लगाया. सुनवाई के दौरान उपस्थित रिम्स निदेशक से कोर्ट ने पूछा की क्या शपथपत्र दायर कर यह जानकारी दे सकते हैं कि ब्लैक फंगस से जूझ रहे मरीज बाहर से दवा नहीं खरीद रहे? लेकिन शपथ पत्र दायर करने से रिम्स निदेशक मुकर गए. उन्होंने कहा कि दवाइयों की सप्लाई पूरी नहीं है.
हाईकोर्ट के फटकार के बाद मरीज के पास पहुंचे डॉक्टर
हाईकोर्ट की फटकार के बाद मरीज उषा देवी के पास डॉक्टरों की टीम भी पहुंच गई. रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद मरीज के पास पहुंचकर जानकारी ली. वहीं प्लास्टिक सर्जरी के चिकित्सक, न्यूरोसर्जन, ईएनटी के डॉ विनोद और डॉ सीके बिरुआ भी पहुंचे. तय हुआ कि गुरुवार को उषा का ऑपरेशन किया जाएगा.
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इधर महाजन से सूद पर पैसा लेकर पत्नी का इलाज करा रहे प्रभु राम
इधर रिम्स के डेंगू वार्ड में अपनी पत्नी राजमनी देवी का इलाज कराने के लिए प्रभु राम को दो लाख रुपए सूद पर लेने पड़े. मरीज पड़ोसी राज्य बिहार के औरंगाबाद से है. प्रभु राम ने कहा कि खेती कर के घर चलाता हूं. दो बार रिम्स के डॉ विनोद कुमार से दिखाया है. उन्होंने भर्ती करने के लिए कहा, तो मंगलवार को अपनी पत्नी को भर्ती कराया हूं. पत्नी को दोनों आंखों से धुंधला दिखाई पड़ता है. उन्होंने कहा कि 45 हजार रुपए की पोसाकॉनजोले टैबलेट खरीद चुके हैं.