Ranchi : उर्जा सचिव को कई बार टीवीएनएल की वर्तमान स्थिति और विस्तारिकरण के लिये ज्ञापन दिया गया. एक जुलाई को सचिव दस सदस्यीय टीम के साथ निगम और पावर प्लांट का दौरा करते हैं. लेकिन इस दौरान सचिव ने विस्तारिकरण पर जोर न देकर सिर्फ यूनिट को कम खर्च पर चलाने की बात की. साथ ही मैन पावर हटाने पर भी चर्चा इस दौरान हुई. ये बातें तेनुघाट विद्युत मजदूर यूनियन की ओर से कही गयी. यूनियन के सचिव बुधन सोरेन ने बताया कि जब से अविनाश कुमार उर्जा सचिव बने हैं, तब से कम से कम तीन बार यूनियन प्रतिनिधियों ने सचिव से मुलाकात की. प्लांट की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, विस्तारिकरण से होने वाले लाभ आदि की जानकारी भी दी गयी. लेकिन जब सचिव दौरा करने आये तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. जबकि यूनिट की स्थिति बदतर होती जा रही है. और यह राज्य का एक मात्र पावर प्लांट है.
ठेका पतरी में जोर दे रहे
बुधन ने बताया कि 25 जून को सीएम ने उर्जा विभाग की समीक्षा की. जिसमें निगम के लिये विशेषज्ञ कमेटी गठित करने की बात कही गयी. और एक जुलाई को सचिव निगम आते हैं. जो बातें सामने आ रही हैं, उससे यही लगता है कि सचिव का अधिक ध्यान ठेका पतरी में है. क्योंकि चर्चा समानों के क्रय में एजेंसी के चयन, टेंडर और वर्क फोर्स कम करने की बात करने पर चर्चा की गयी. इस दौरान के बाद निगम की ओर से आदेश निकाला गया कि जिसमें पांच सालों के कार्यों की समीक्षा के लिये एक्सपर्ट कमेटी बनाने की बात की गयी.
ऐसे में प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि निगम का विस्तारिकरण हो कमेटी बनें. लेकिन उर्जा सचिव एक्सर्पट कमेटी न बनाकरण ऐसी कमेटी बनाते हैं, जो विस्तार न कर निगम की खामियां गिनें. सोरेन के मुताबिक, सचिव का जोर विलय पर है न कि प्लांट के भरपूर बिजली उत्पादन और विस्तारिकरण से. ऐसे में स्पष्ट है कि सचिव ठेका पतरी में एकाधिकार चाहते हैं. बड़ी कपंनी से चाहते हैं काम कराना.
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पूर्व एमडी ने कम किया उत्पादन
वहीं यूनियन की ओर से जानकारी दी गयी कि जब से पूर्व एमडी अरविंद सिन्हा को निगम में पदस्थापित किया गया. तब से निगम के उत्पादन में कमी देखी गयी. पूर्व उर्जा सचिवों और वर्तमान सचिव को भी इसकी जानकारी यूनियन ने दी है. यहां दो यूनिट 420 मतलब एक एक यूनिट 210-210 मेगावाट के हैं. जो अरविंद सिन्हा के पहले तक 180 से 190 मेगावाट तक उत्पादन करते थे. लेकिन सिन्हा के आने के बाद उत्पादन 130 या 140 से अधिक बढ़ने नहीं दिया. उत्पादन कम होने से यूनिट को नुकसान में दिखाना सरल है. वहीं जेबीवीएनएल से निगम को बकाया भुगतान नहीं किया जाता है. अब तो सीसीएल से कोयला भी नहीं मिल रहा. उत्पादन प्रभावित है. सभी बातों की जानकारी सचिव को दी गयी. लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गयी.
सरकार करें नीति स्पष्ट
यूनियन ने सरकार से मांग की है कि तेनुघाट का विस्तारिकरण सरकार चाहती है या नहीं ये स्पष्ट करें. वहीं अनुरोध किया गया कि निगम के मैन पावर और बेरोजगारी फैलाने की दिशा में कदम नहीं उठाया जायें.
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