Dr. Anuj Kumar
एक जरूरी खबर जो मेन स्ट्रीम मीडिया से लगभग गायब है. पढ़िये और समझिए कि मेडिकल एजुकेशन के साथ-साथ लाखों छात्रों के भविष्य के साथ कैसे मनमाने ढंग से खेला जा रहा है. नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM) ने आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा और सोवा-रिग्पा के छात्रों के लिए NEXT एग्जाम का निर्णय लिया है. यानी अपनी ग्रेजुएशन की सारी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद, फाइनल परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को फिर से एक परीक्षा देनी होगी, ताकि वो प्रैक्टिस कर सकें या पीजी में एडमिशन ले सकें. किसी भी अन्य कोर्स में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.
ऐसे में पहला सवाल यह है कि मेडिकल एजुकेशन में ही छात्रों पर यह अतिरिक्त परीक्षा का बोझ क्यों? दूसरा सवाल कि अपने नोटिफिकेशन में NCISM ने कहा है कि जिन छात्रों ने अपनी इंटर्नशिप 20 दिसंबर, 2023 को या इसके बाद शुरू की उन्हें ये परीक्षा देनी होगी. इसका मतलब ये हुआ कि 2016/2017/2018 बैच के कुछ छात्र NEXT देंगे और कुछ नहीं. यानी एक ही बैच के छात्रों पर दो अलग-अलग नियम लागू होंगे. ये कैसे तर्क संगत है. क्या NCISM के पास इसका जवाब है??? तीसरा सवाल कि इन सारे बैच के छात्रों ने जब एडमिशन लिया तो उन्हें कुछ और जानकारी थी कि जिस कोर्स में उन्होंने एडमिशन लिया उसमें क्या-क्या एग्जाम उन्हें देंगे होंगे.
छात्रों के एडमिशन लेने के बाद उनके माथे पर एक और एग्जाम को जबरन ला के रख दिया गया. ये नैसर्गिक न्याय नहीं. अगर एग्जाम लेना ही था तो नये सत्र से क्यों नहीं लागू किया जा रहा. NCISM को अचानक इतनी क्या जल्दी आ पड़ी कि पिछले सत्र के छात्रों पर भी इसे लागू कर दिया. किसी कोर्स में जब कोई छात्र एडमिशन ले रहा है, तभी उसे स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए कि उसे क्या-क्या एग्जाम देना है. अचानक सरकार जागती है और बीच सत्र में इतना बड़ा परिवर्तन कर देती ही. ये कैसे उचित है?
चौथा सवाल कि MBBS के छात्रों पर भी NEXT लागू होना था, लेकिन उसे टाल दिया गया. पर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन में इसको आनन-फानन में लागू कर दिया गया. इसकी वजह क्या है? क्या यह वजह है कि बड़े-बड़े अधिकारियों और मंत्रियों के बच्चे अल्टरनेटिव मेडिसिन में नहीं बल्कि MBBS का कोर्स करते हैं. मेडिकल एजुकेशन में एक समान नियम सरकार क्यों नहीं ला पा रही है? इसकी क्या वजह है?
पाचवां सवाल कि सारा बोझ बच्चों पर क्यों? अगर किसी कॉलेज के 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे NEXT परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होते हैं तो NCISM उस कॉलेज पर क्या कर्रवाई करेगा?? क्या NCISM ने इसको लेकर कोई रूपरेखा बनायी है? और अगर नहीं बनायी है तो इसका मतलब स्पष्ट है कि इस परीक्षा का उद्देश्य शिक्षा के लेवल को सुधारना नहीं बल्कि मात्र एक खानापूर्ति है, जो सिर्फ छात्रों की मानसिक और आर्थिक परेशानी बढ़ायेगा. सरकार को चाहिए कि इस नोटिफिकेशन को तत्काल रद्द करे. अगर इसे लागू करना भी है तो नये सत्र से करे और वो भी इस परीक्षा के सही उद्देशों को स्पष्ट करने के बाद. मेडिकल एजुकेशन और हेल्थ पॉलिसी को लेकर सरकार को और काफी ज्यादा सजग और संजीदा होने की आवश्यकता है.
नोट : डॉ अनुज कुमार पेशे से एक मैक्सिलोफेशियल सर्जन और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट हैं.