Girish Malviya
हम सब फिल्मों में काम करने वाले एक्टर सोनू सूद को कई बरसों से जान रहे हैं. निसंदेह वह प्रभावी अभिनेता रहे हैं, लेकिन उनकी मसीहा वाली छवि की शुरुआत होती है. मई 2020 के दूसरे हफ्ते से, …….पहला कोरोना लॉकडाउन खत्म होने जा रहा था,और मोदी सरकार के हाथ पांव फूल रहे थे. क्योंकि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वर्ग देश के औद्योगिक केंद्रों से अपने घर वापसी की रास्ता देख रहा था, ऐसे में PR एजेंसी ने कारपोरेट के सहयोग से मीडिया के जरिए मार्केट में एक नया रियल हीरो लॉन्च किया. जिसका नाम था सोनू सूद. वह कही मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था कर रहे थे, तो कही भोजन की.
तत्कालिक फायदा यह हुआ कि सरकार की असफलता छुप गयी. लोग सरकार से मदद मांगने के बजाए सोनू सूद से मदद मांगने लगे……
लेकिन उसी के साथ-साथ सोनू सूद कारपोरेट में भी अपना दांव खेल रहे थे. जिसके बारे में अधिक जानकारी बाहर नहीं आयी. क्योंकि अगर आती तो सोनू सूद की मसीहा वाली छवि ध्वस्त हो जाती.
मई 2020 में सोनू सूद बड़े पैमाने पर मजदूरों की मदद करते हैं और जुलाई 2020 अपनी एक नयी वेबसाइट लॉन्च करते हैं. जिसका नाम होता है ‘प्रवासी रोजगार’. बेहद आश्चर्यजनक रूप से सिंगापुर सरकार की एक कंपनी टेमसेक उस वेबसाइट में 250 करोड़ का निवेश कर देती है. हैरानी की बात यह है कि सिर्फ सोनू सूद के नाम पर ही इतना बड़ा निवेश हो गया, क्योंकि काम तो उस वेबसाइट ने कुछ किया नहीं था. अभी हाल में पत्रिका की एक खबर सामने आई कि इस निवेश में भी डीबी कॉर्प के तार जुड़े थे. डीबी कार्प यानी दैनिक भास्कर समूह, यह खबर भास्कर पर पड़ रहे छापे के दौरान बाहर आई थी.
सोनू सूद के इस प्रवासी रोजगार से एक ओर कंपनी जुड़ी हुई है और वह है स्कूलनेट. अब स्कूलनेट की कहानी भी जान लीजिए. आईएलएंडएफएस को आप जानते ही होंगे दरअसल उसके एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी सर्विस ब्रांच को स्कूलनेट के नाम से जाना जाता था. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत कर्ज से ग्रस्त IL & FS द्वारा स्कूलनेट को फलाफाल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया.
यानी प्रोग्राम सब सेट था मार्केट में बस एक नया हीरो लांच करना था. जिसके साथ भारत की आम जनता और मजदूर वर्ग अपना एक जुड़ाव अनुभव कर सके और ऐसा ही हुआ.कल यह जो ‘बच्चों का मेंटोर’ योजना दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शुरू की है. यह भी सोनू सूद के जरिए स्कूल नेट को जा रही है.
अब वापस सोनू सूद की मूल कंपनी ‘प्रवासी रोजगार’ पर आते है. दरसअल प्रवासी रोजगार बड़ा चीप साउंड करता है इसलिए इस कंपनी का नाम अब ‘गुड वर्कर’ कर दिया गया है.
जॉब प्लेटफॉर्म गुडवर्कर एक जॉब एप्लिकेशन है. यह ऐप भारत के प्रवासी मजदूरों को नौकरी दिलाने के मकसद से तैयार की गई है. इस ऐप के माध्यम से प्रवासी मजदूर या बेरोजगार घर बैठे नौकरी की तलाश कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें कहीं जाकर नौकरी की तलाश या आवेदन नहीं करनी होगी. बताया जा रहा है कि गुडवर्कर ऐप पर आप मुफ्त में अपना बायोडाटा यानी की रिज्यूम बना सकते हैं.
गुड वर्कर के साथ इस पहल में अमेजन मैक्स हेल्थकेयर, पोर्टिया, सोडेक्सो, अर्बन कंपनी आदि सहित नौकरी की तलाश करने वाले और नियोक्ता शामिल हैं.
लेकिन अकेला गुड वर्कर ही सोनू सूद का दांव नहीं है, सोनू सूद ने पिछले महीने Travel Union एप वालों के साथ भी हाथ मिलाया है. यह एप्प Make My Trip की तरह काम करेगा. इसकी खासियत ये होगी कि ये खासतौर पर गांव में रहने वाले लोगों के लिए काम करेगा. इसके जरिए वो लोग डिजिटल दुनिया का हिस्सा बनने में कामयाब हो पाएंगे. इसके साथ ही सोनू सूद की फाउंडेशन सिविल सेवा परीक्षा (यूपीएससी) की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए कोचिंग छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है.
यानी आगे का सारा खेल सेट है. मसीहा सोनू सूद की छवि को आने वाले डिजीटलीकरण के साथ में कैश किया जा रहा है. सोनू सूद भी इस खेल में पार्टनर बने हुए हैं. यह सब बनाए गए सेलेब्रिटीज़ है इसलिए मैं आपको बार-बार ऐसे बनावटी लोगों के बारे में आगाह करता हूं.