Ranchi: कांग्रेस की बड़कागांव विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठी थीं. राज्य की हेमंत सरकार में सहयोगी पार्टी कांग्रेस की विधायक अंबा प्रसाद ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये हैं. अंबा ने माइनिंग का कार्य कर रही कंपनी के पक्ष में पुलिस के कार्य करने के गंभीर आरोप लगाये हैं. और इसी के विरोध में बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में धरने पर बैठी थी.
धरना दे रही अंबा प्रसाद से बात करने पहुंचे कांग्रेसी विधायक दल के नेता आलमगीर आलम से मिलने के बाद धरना खत्म कर दिया गया है. और विधायक दल नेता आलमगीर आलम के साथ अंबा प्रसाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करने जा रही हैं.
सीएम से हस्तक्षेप की मांग पर अड़ी थीं
अंबा प्रसाद का आरोप है कि प्रशासन के द्वारा धारा 144 लगाकर माइनिंग का काम किया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है. बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र के बरवाडीह पकरी में विस्थापितों की समस्याओं और विस्थापितों को मुआवजा के साथ देने की मांग को लेकर अंबा धरने पर बैठी थीं.
अंबा प्रसाद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. अंबा प्रसाद के मुताबिक, बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र की जनता उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है और बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र की जनता के हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है.
विस्थापित, ट्रांस्पोर्टिंग और माइनिंग से जुड़ी विवादों से रहा है नाता
गौरतलब है कि बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद बड़कागांव क्षेत्र में विस्थापित, कोल ट्रांस्पोर्टिंग और माइनिंग से जुड़ी राजनीति में काफी सक्रिय नजर आती हैं. उनपर इन मामलों में कई तरह के आरोप भी लगे हैं. 17 जुलाई को त्रिवेणी सैनिक के वर्करों, मोबेलाइजर समर्थकों और कंपनी के खिलाफ आंदोलन कर रहे विधायक अंबा प्रसाद के समर्थकों के बीच हल्की झड़प भी हुई थी. झड़प में चार लोग मामूली रूप से घायल भी हुए थे.
वहीं उनपर कभी कोल ट्रांसपोर्टिंग में लगे वाहनों को रोक देने का आरोप लगता है तो कभी विधायक अपने समर्थकों के साथ जाकर कोयला लोड गाड़ी भी जब्त कर लेती हैं. विधायक बनने के बाद 25 अप्रैल की रात को विधायक अपने समर्थकों के साथ मध्य रात्रि में आम्रपाली परियोजना से कोयला ट्रांसपोर्टिंग के लिए केरेडारी के पेटो पंचायत से गुजर रही दस हाइवा को बुकरु मोड़ पर पकड़ लिया था. साथ ही कहा था कि सभी वाहन नो एंट्री का उल्लंघन कर अवैध तरीके से ट्रांसपोर्टिंग करवायी जा रही थी. जबकि विधायक के पास नो एंट्री से संबंधित कोई आदेश की कॉपी भी नहीं थी.