Ranchi: प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने साहिबगंज में हुए अवैध खनन मामले में दायर पांचवें आरोप पत्र (prosecution report) के साथ पुलिस अधिकारी सैफुद्दीन खान का बयान भी कोर्ट में जमा किया है. सैफुद्दीन खान वही पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने बरहरवा टोल विवाद के मामले में दर्ज प्राथमिकी की जांच कर 24 घंटे के अंदर ही तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को निर्दोष करार दिया था.
जानकारी के मुताबिक बरहरवा टोल के टेंडर में हुए विवाद के सिलसिले में एक प्राथमिकी (85/2020) दर्ज की गयी थी. इसमें तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम, पंकज मिश्रा सहित अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. इस मामले की जांच पुलिस अधिकारी सैफुद्दीन खान कर रहे थे. उन्होंने कुछ ही घंटों में जांच पूरी कर आलमगीर आलम व पंकज मिश्रा को निर्दोष करार दिया था.
इडी ने साहिबगंज में अवैध खनन की जांच के दौरान टोल के टेंडर विवाद को महत्वपूर्ण मानते हुए इस प्राथमिकी को भी इसीआइआर में शामिल किया था. क्योंकि माइनिंग के बाद खनिजों को मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए इसी टोल से होकर गुजरना पड़ता है. इसलिए अवैध खनन में शामिल लोगों द्वारा इस टोल पर अपना कब्जा बनाने की कोशिश की जा रही थी ताकि अवैध रूप से निकाले गये खनिजों को बग़ैर किसी परेशानी के मुख्य मार्ग तक पहुंचाया जा सके.
इडी ने बरहरवा टोल विवाद से जुड़ी प्राथमिकी को इसीआईआर में शामिल कर जांच शुरू करने के बाद यह पाया कि पुलिस ने आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को निर्दोष करार देने के बाद प्राथमिकी के दूसरे अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया था.
इस तथ्य के सामने आने के बाद इडी ने मामले में जांच से संबंधित पुलिस अधिकारियों को समन भेज कर पूछताछ करने की कार्रवाई शुरू की. इस मुद्दे पुलिस अधिकारियों की ओर से इडी द्वारा जारी किये गये समन को न्यायालय में चुनौती दी गयी. इसमें पुलिस की ओर से यह तर्क दिया गया कि किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य सरकार की एजेंसी द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इस कानूनी लड़ाई में पुलिस को राहत नहीं मिली. न्यायालय के फैसले के आलोक बरहरवा टोल विवाद की जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों के इडी के समक्ष हाजिर होना पड़ा.
इसी दौरान इडी ने बरहरवा टोल विवाद के जांच अधिकारी सैफुद्दीन खान का बयान दर्ज किया. इडी ने उनसे मामले की जांच के दौरान वैज्ञानिक सबूतों को नहीं जुटाने के सिलसिले में सवाल पूछा था. सैफुद्दीन खान द्वारा इस मुद्दे पर दर्ज कराये गये बयान में कहा गया था कि उन्हें उनके वरीय अधिकारियों द्वारा सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा (collect) नहीं करने का निर्देश दिया गया था. सैफुद्दीन खान अपने बयान में यह भी स्वीकार किया कि यह निर्देश उन्हें बरहरवा के तत्कालीन एसडीपीओ ने दिया था. इडी ने अपनी रिपोर्ट में इस बयान का उल्लेख करते हुए इसे जांच को प्राभावित करने के उदाहरण के तौर पर पेश किया है.
इडी द्वारा दायर पांचवी रिपोर्ट में बालू के अवैध कारोबार का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निमाई चंदशील ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार किया है कि वह बालू का अवैध खनन करता है. अपने बयान में उसने यह स्वीकार किया है कि वह गुमानी नदी से बालू का अवैध खनन करता है. उसे इस बात की भी जानकारी है कि वैध दस्तावेज के बिना नदी से बालू निकालना गलत है.
निमाई चंदशील ने अपने बयान में यह भी कहा है कि वह बालू का अवैध काम पत्थर के कारोबार में पूंजी लगाने के लिए कर रहा है. उनसे मैसर्स आरएन स्टोन के साथ पार्टनरशिप किया है. उसे यह कहा गया कि इस कंपनी को सात एकड़ क्षेत्र पर पत्थर खनन का लीज दिलाया जायेगा. इसमें निमाई पूंजी निवेश करेगा. जबकि इस संस्थान के पार्टनर्स को मुनाफे में 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलेगी.