Ranchi: आजसू ने सरकार से झारखंड में नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर की जा रही ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया को सार्वजनिक करने की मांग की है. पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर और युवा नेता संजय मेहता ने इस प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सरकार पर पारदर्शिता से बचने का आरोप लगाया.
ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया में पारदर्शिता का पूर्णत अभाव
संजय मेहता ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि सर्वे किस एजेंसी द्वारा और किस प्रक्रिया से कराया गया. साथ ही डाटा का सत्यापन किसने किया और किन मानकों के आधार पर किया गया. उन्होंने कहा कि ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया में पारदर्शिता का पूर्णत अभाव है.
चार माह से राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त
संजय मेहता ने यह भी बताया कि सरकार शुरुआत में बिना आरक्षण के ही निकाय चुनाव कराना चाहती थी. लेकिन पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मामला ले जाने के बाद ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया शुरू की गई. उन्होंने कहा कि आजसू पार्टी के निरंतर दबाव के चलते ही पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति संभव हो सकी, लेकिन अब पिछले चार महीनों से राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त पड़ा है, जो चिंता का विषय है.
बंद कमरे में रिपोर्ट तैयार कर रही सरकार
पार्टी नेताओं का कहना है कि ट्रिपल टेस्ट के तहत डोर-टू-डोर सर्वे आवश्यक था, लेकिन ज़मीनी स्तर पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला. उनका आरोप है कि सरकार बंद कमरों में रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिससे ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है.
ट्रिपल टेस्ट के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही सरकार
प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया में ओबीसी की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का वैज्ञानिक ढंग से आकलन होना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार सिर्फ खानापूर्ति कर रही है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले पंचायत चुनावों में भी सरकार ने आजसू नेता सुदेश महतो की पहल पर तय किए गए 10,500 आरक्षित पदों को समाप्त कर ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय किया था.