Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिले की आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं ने केन्द्र व राज्य सरकार से उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग की. इस मांग को लेकर मंगलवार को सेविकाओं और सहायिकाओं ने जिला समाहरणालय पर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री के नाम एक मांग पत्र उपायुक्त को सौंपा. आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की राष्ट्रीय मंत्री बिन्दुरानी ने बताया कि आंगनबाड़ी में कार्यरत महिलाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं को सरकारी कर्मचारी की तरह क्रियान्वित करती है. इसमें टीकाकरण, पल्स पोलियो की दवा पिलाना, जन्म प्रमाण पत्र का पंजीकरण करना, मतदाता सूची का सर्वे के अलावा अन्य काम जो समय-समय पर आंगनबाड़ी कर्मचारियों को दिया जाता है. सभी का वे निष्ठापूर्वक निर्वहन करती हैं. इसके अलावे बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ पोषाहार देना, गर्भवती और धात्री महिला और किशोर एवं बालिकाओं को पोषाहार तथा आयरन की गोली वितरित करने जैसे अनेक कार्य सेविकाओं एवं सहायिकाएं करती हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में सभी आंगनबाड़ी की सेविकाएं कोरोना से लड़ने के लिए सरकारी अथवा अर्ध सरकारी कर्मचारियों के कंधा से कंधा मिलाकर अपनी जान का परवाह किए बगैर कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर कर रही है. लेकिन उन्हें न तो समय पर मानदेय मिल पाता है, ना ही उनके मानदेय में बढ़ोतरी होती है. उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार से सेविकाओं एवं सहायिकाओं की बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने की अपील की.
सेविकाओं एवं सहायिकाओं की पांच सूत्री मांग
आंगनबाड़ी में कार्यरत सेविकाओं और सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित कर सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए. भारत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन सेविका को 18 हजार रुपया और सहायिका को 9 हजार रुपया प्रतिमाह का भुगतान किया जाए. आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल में बदलने पर उसमें कार्यरत कर्मचारी को प्री प्राइमरी टीचर और सहायिका को प्री प्राइमरी असिस्टेंट टीचर में शिक्षण के अनुभव पर उनकी शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए प्रशिक्षण देकर पदोन्नति किया जाए. आंगनबाड़ी में कार्यरत सभी कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि, जीवन निर्वाह भत्ता, सेवानिवृत्त भत्ता, उनके एवं उनपर आश्रितों को चिकित्सा सुविधा, उनके बच्चों के लिए शिक्षा की सुविधा लागू की जाए. आंगनबाड़ी कर्मचारियों को भी सरकारी कर्मचारी की तरह अर्जित अवकाश (EL), आकस्मिक अवकाश (CL), चिकित्सक अवकाश, विभिन्न त्योहारों पर मिलने वाली छुट्टियां दी जाए.