NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई टीवी प्रोग्राम ऐसे हैं जो उकसाते हैं और एक समुदाय विशेष पर प्रभाव डालते हैं,. लेकिन बतौर सरकार आप कुछ नहीं कर रहे हैं. बता दें कि पिछले साल कोरोना वायरस के दौरान तबलीगी जमात मामले में मीडिया रिपोर्ट्स पर कार्रवाई की मांग के मामले में याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाई.
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सीजेआई जस्टिस बोबडे ने कहा , यह सही रिपोर्टिंग का मसला नहीं है
सीजेआई जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह सही रिपोर्टिंग का मसला नहीं है. उन्होंने सरकार से कहा कि आपने टेलीविजन कार्यक्रम और टीवी नेटवर्क को अलग-अलग क्यों रखा है. इसके जवाब में सरकार ने हलफनामे ेमं कहा कि स्वायत्त नियामक केवल चैनल के लिए हैं. सरकार का इससे सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है. इस पर सीजेआई ने सरकार को जमकर फटकार लगाई.. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सामने केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्राडकॉस्ट कार्यक्रम लोगों को प्रभावित करते हैं और सरकार इसमें कुछ नहीं करती उन्होंने कहा कि जब किसान दिल्ली पहुंचे तो आपने इंटरनेट बंद कर दिया. मुझे नहीं पता कल टीवी पर क्या हुआ. पुलिस के पास लाठी थी और सुरक्षात्मक कदम उठाये जा सकते थे. यह कानून व्यवस्था का सवाल था.
कहा कि आपको यह समझना होगा कि ऐसी खबरों को रोका जाना चाहिए, जिससे कानून व्यवस्था पर सवाल बने. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए सरकार को कहा कि आपने आंखें बंद क्यों कर रखी हैं? सरकार इस पर कुछ नहीं कर रही.
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सरकार को जवाब दाखिल के लिए तीन सप्ताह का समय
सीजेआई ने कहा कि फेक न्यूज कि वजह से हिंसा हो, किसी की जान जाये, यह नहीं होना चाहिए. किसी खबर से ऐसी स्थित पैदा नहीं होनी चाहिए. इसकी के साथ कोर्ट ने सरकार को टीवी खबरों और कार्यक्रमों को नियमित करने और तकनीकी व्यवस्था बनाने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है.
इसके बाद सरकार और सभी पक्षकारों को जवाब दाखिल करना है. वहीं सरकारी वकील तुषार मेहता ने कहा कि केबल टीवी, डीटीएच और ओटीटी पर तकनीकी पहलू क्या हैं और कैसे नियमित किया जाता है. इसका पूरा खाका हम कोर्ट में पेश करेंगे. इसके लिए उन्होंने कोर्ट से समय मांगा.