Ranchi : RMC में अपीलीय न्यायाधिकरण गठित मामला की हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसे लेकर हाईकोर्ट ने नगर विकास सचिव को फटकार लगायी है. हाईकोर्ट ने पूछा कि कोर्ट को गलत जानकारी देने और अपीलीय न्यायाधिकरण गठित नहीं होने पर क्यों नहीं नगर विकास सचिव पर अवमानना नोटिस जारी हो. बता दें कि कोर्ट ने यह टिप्पणी बीते 20 नवंबर को रांची नगर निगम में अवैध निर्माण रोकने के लिए अबतक अपीलीय न्यायाधिकरण गठित नहीं किये जाने और इस बारे में गलत जानकारी देने पर किया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने ने व्यवासायी प्रिंस अजमानी के पेंटागन बिल्डिंग मामले में सुनवाई के दौरान यह बात कही है. . कोर्ट ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है.
इसे भी पढ़ें – स्वास्थ्य मंत्री को भी नहीं है NRHM कर्मियों की सुध, सिर्फ मिलता है आश्वासन
तीन माह बाद भी ट्रिब्यूनल गठित नहीं किया गया
साथ ही कोर्ट ने कहा कि बीते 5 अगस्त को मामले के सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर विकास सचिव को अगले एक हफ्ते में अपीलीय ट्रिब्यूनल और उसमें दो सदस्यों की टीम गठित करने का निर्देश दिया था. लेकिन तीन माह बाद भी यह ट्रिब्यूनल गठित नहीं किया गया. कोर्ट ने विभागीय सचिव को गलत जानकारी देने पर कड़ी नाराजगी जतायी. न्यायाधिकरण के संचालित नहीं होने पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि लगता है कि राज्य सरकार नहीं चाहती है कि रांची में अवैध निर्माण की समस्या को दूर किया जाए. इस मामले में अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होनी हैं.
इसे भी पढ़ें –अदालत से भगोड़ा घोषित पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह मुंबई पहुंचे, कहा, न्यायपालिका के प्रति उनके मन में आदर है
आखिर कोर्ट को इस तरह की गलत जानकारी क्यों दी गयी
बता दें कि इस संबंध में पेंटागन व्यवसायिक भवन की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया है कि रांची नगर निगम के अपीलीय न्यायाधिकरण में कोरम पूरा नहीं होने की वजह से सुनवाई नहीं हो पा रही है. इसमें चेयरमैन और न्यायिक सदस्य की नियुक्ति कर दी गई है, लेकिन तकनीकी सदस्य की नियुक्ति नहीं हुई है. इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर अदालत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से तीन माह पहले अपीलीय न्यायाधिकरण में सभी की नियुक्ति कर संचालित करने को लेकर काउंटर एफिडेविट दाखिल किया गया है. कोर्ट को बताया गया कि तकनीकी सदस्य के नहीं होने के कारण ट्रिब्यूनल गठित नहीं हो पाया है. आखिर कोर्ट को इस तरह की गलत जानकारी क्यों दी गयी. इसपर कोर्ट ने कहा कि यह अवमानना के दायरे में आता है.
इसे भी पढ़ें –कोविड टीका से नहीं हुई महिला की मौत, सिविल सर्जन का दावा
कोर्ट को बताया गया था कि महाधिवक्ता और नगर विकास सचिव उपस्थित नहीं है
कोर्ट ने कहा कि न्यायाधिकरण में नियुक्ति नहीं होने की वजह से अवैध निर्माण पर नगर निगम के दिये सभी आदेश के बाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हो रही हैं, जो कोर्ट का बोझ बढ़ा रही हैं. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने तथ्यों को छुपाया है. सुनवाई की पहली पारी के बाद कोर्ट ने दूसरी पाली में महाधिवक्ता और नगर विकास सचिव को ऑनलाइन जुड़ने का आदेश दिया. कोर्ट को बताया गया कि दोनों में अभी कोई भी उपलब्ध नहीं है. जिसे बाद कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं सचिव के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया जाए.
इसे भी पढ़ें –1.42 करोड़ की ठगी में मामला दर्ज कराने वाला ही निकला आरोपी, पुलिस ने किया गिरफ्तार