LagatarDesk : पेगासस स्पाईवेयर को लेकर इस समय काफी बहस हो रही है. इस स्पाईवेयर की मदद से लोगों की जासूसी की जा रही है. आपको बता दें कि पेगासस स्पाईवेयर लगभग सभी फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम कर सकता है. इस स्पाईवेयर से काफी सेफ माने जाने वाला Apple भी बच नहीं पाया.
पेगासस के जरिये आईफोन आसानी से होता है टैप
जासूसी रिपोर्ट सामने आने के बाद इस हमले का Apple ने भी निंदा किया है. इस फोन टैपिंग की रिपोर्ट में Apple का आईफोन भी शिकार बना है. जिसके बाद इसकी सिक्योरिटी को लेकर कई सवाल उठे हैं. एमनेस्टी ने लीक आंकड़ों को साझा करते हुए कहा कि Apple का आईफोन पेगासस के जरिये आसानी से टैप होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, iOS 14.6 वर्जन वाले आईफोन में जीरो क्लिक आई-मैसेज एक्सप्लॉयट होते हैं और इसी के जरिए टारगेट फोन में पेगासस सॉफ्टवेयर को डाले जाने की संभावना है.
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यूजर्स की सुरक्षा के लिए कंपनी कर रही काम
इसको लेकर अब Apple ने बयान जारी किया है. Apple ने अपने बयान में कहा कि ऐसे हमलों से हमारे यूजर्स की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कंपनी सुरक्षा बढ़ाने को लेकर काम कर रही है. ताकि यूजर्स के डिवाइस और डेटा को सुरक्षित बनाया जा सके.
इस तरह के हमले काफी प्रभावशाली- इवान क्रस्ती
Apple के सिक्योरिटी इंजीनियरिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रमुख इवान क्रस्ती ने कहा कि इस तरह के हमले काफी प्रभावशाली है. इसे डेवलप करने में लाखों डॉलर खर्च होते हैं. हालांकि इसकी शेल्फ लाइफ काफी कम होती है . यह खास तरह के लोगों को टारगेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जीरो क्लिक अटैक में स्मार्टफोन यूजर्स के बिना किसी मैसेज या लिंक पर क्लिक किये यह स्पाइवेयर उसके फोन में इंस्टॉल हो जाता है और इसका पता भी नहीं चलता है.
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एक व्यक्ति पर करने होते हैं 70 लाख रुपये खर्च
आपको बता दें कि पेगासस स्पाईवेयर काफी एडवांस और पावरफुल है. इसकी मदद से किसी की जासूसी की जा सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, इससे एक व्यक्ति की जासूसी करने का खर्च लगभग 70 लाख रुपये होता है. ये टारगेट डिवाइस का कॉल भी रिकॉर्ड कर सकता है.
50 देशों में 1000 से अधिक लोगों की निगरानी
फ्रांस की संस्था फॉरबिडेस स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ये जानकारी जुटाकर दुनिया के कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों से शेयर की. इस जांच को पेगासस प्रोजेक्ट नाम दिया गया है. 50 देशों में 1,000 से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने संभावित निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना.
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के अनुसार, जिन लोगों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया था. उनमें 189 पत्रकार, 600 से अधिक नेता और सरकारी अधिकारी, 65 व्यावसायिक अधिकारी, 85 मानवाधिकार कार्यकर्ता और कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं. ये पत्रकार ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी), ‘रॉयटर’, ‘सीएनएन’, ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’, ‘ले मोंदे’ और ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ जैसे संगठनों के लिए काम करते हैं.
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लिस्ट में 40 भारतीय पत्रकारों के नाम हैं शामिल
निगरानी वाली लिस्ट में 1500 से ज्यादा नाम हैं. इसमें 40 भारतीय पत्रकारों के नाम भी हैं. इस लिस्ट में हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस के टॉप पत्रकार शामिल हैं. इनमें हिंदुस्तान टाइम्स के शिशिर गुप्ता, द वायर के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु, द वायर के लिए लगातार लिखने वालीं रोहिणी सिंह का नाम है.