Ranchi : कैथलिक कलीसिया के गुमला डायसिस के 65 वर्षीय बिशप पॉल अलोइस लकड़ा का निधन मंगलवार को हुआ. वे लंबे समय से बीमार थे. बुधवार को गुमला के संत पात्रिक महागिरजाघर में पूरे विधि-विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार कार्यक्रम किया गया. गिरजाघर में ही बिशप के पार्थिव शरीर को दफनाया गया. इस संस्कार कार्यक्रम में रांची के धर्माध्यक्षों के साथ ही खूंटी, हजारीबाग, रायगढ़, सिमडेगा के बिशप, पुरोहित और कैथोलिक समाज की धर्मबहनें शामिल हुईं. सभी ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. इस विशेष मिस्सा बलिदान के मुख्य अनुष्ठाता रांची आर्चडायसिस के आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो थे. इस दौरान कोविड गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सीमित लोगों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. विश्वासियों के लिए अंतिम संस्कार कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट भी किया गया था. इसमें हज़ारों विश्वासी शामिल हुए और बिशप पॉल को श्रद्धांजलि दी.
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विदेशों से भी धर्मगुरुओं ने भेजा संदेश
इस अवसर पर बिशप थियोदोर ने पोप फ्रांसिस की ओर से अपोस्टोलिक नूनशियो आर्चबिशप लियोपोल्डो गिरेली द्वारा बिशप पॉल की मृत्यु पर लिखे गए संदेश को पढ़ा. पोप फ्रांसिस ने बिशप के असमय मृत्यु पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कैथलिक समाज और गुमला डायसिस के लिए विशेष प्रार्थना की. भारत में रोम के इवैजलिकेश ऑफ पिपल्स कॉग्ग्रीगेशन के अध्यक्ष कार्डिलन लुईस एंटोनियो थगले का संदेश सुनाया.
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बिशप पॉल का ईश्वर पर विश्वास, हिम्मत और प्रेम अडिग था – बिशप थिओडोर
बिशप थिओडोर ने संदेश देते हुए कहा कि बिशप पॉल एक ईश्वर पर विश्वास रखने वाले महान व्यक्ति थे. मृत्यु से दो हफ्ते पहले उन्होंने अंतिम संस्कार ग्रहण किया था. इसके साथ ही मृत्यु से एक दिन पहले उन्होंने परमप्रसाद ग्रहण किया था. वे काफी हिम्मत वाले थे.
लंबे समय से बिशप पॉल थे बीमार
बिशप पॉल कोविड की दूसरी लहर में संक्रमित हुए थे. गंभीर होने के बाद इलाज के लिए उन्हें मांडर के कोस्टंट लिवन्स हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. हालात में सुधार न होता देख उन्हें रांची के आर्किड हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था, जिसके बाद वे ठीक हो गए थे. पर जानकारी के अनुसार उनकी मृत्यु पोस्ट कोविड की परेशानियों से हुई. अंत मे वे संक्रमण से जंग हर गए.
रायगढ़, जसपुर के बिशप के साथ ही कई विधायक भी हुए शामिल
अंतिम संस्कार धर्मविधि में खूंटी के बिशप विनय कंडुलना, सिमडेगा के बिशप विनसेंट बारवा, जमशेदपुर के बिशप तेलेस्फोर विलुंग, हजारीबाग के बिशप आनंद जोजो, रायगढ़ के बिशप पॉल टोप्पो, जसपुर के बिशप एम्मानुएल केरकेट्टा सहित विभिन्न जगहों से कई पुरोहित और कैथलिक धर्मबहनें शामिल हुए. इसके साथ ही मौके पर मांडर विधायक बंधु तिर्की, गुमला विधायक भूषण तिर्की और पूर्व सांसद प्रदीप कुमार बालमुचू भी बिशप पॉल के अंतिम विदाई में शामिल हुए.
कौन थे बिशप पॉल अलोइस लकड़ा
बिशप पॉल अलोइस लकड़ा का जन्म 11 जुलाई 1955 को झारखंड के नदी टोली में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत पात्रिक हाई स्कूल गुमला से की थी. वहीं मैट्रिक संत इग्नासियुस हाईस्कूल औऱ इंटर की पढ़ाई केओ कॉलेज गुमला से की थी. इसके बाद उन्होंने रांची के संत अलबर्ट एक्का कॉलेज में पुरोहिताई सेविका के लिए पढ़ाई की. 6 मई 1988 को उन्का पुरोहिताभिषेक किया गया था. जिसके बाद 28 जनवरी 2006 को उन्हें गुमला डायसिस का बिशप नियुक्त किया गया और 5 अप्रैल 2006 को उनके बिशप बनने का अभिषेक किया गया. बिशप पॉल अलोइस लकड़ा गुमला डायसिस के दूसरे बिशप थे. इससे पहले उन्होंने 33 साल तक बतौर पुरोहित सेवा दी. वहीं बीते 15 साल से वे बतौर बिशप के रूप में ईश्वर का कार्य कर रहे थे.