Surjit Singh

देश भर में कोरोना पीड़ितों की संख्या हर दिन लाखों की तादाद में बढ़ रही है. अस्पतालों में बेड नहीं है. जिन्हें बेड मिल गये, उनके लिये ऑक्सीजन की दिक्कत है. साल भर पहले खरीदे गये अधिकांश वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे. गुजरात में हवा फेंकने वाला वेंटिलेटर तो याद ही होगा.
ऐसे वक्त में इस बार अरोग्य सेतु एप्प की कोई चर्चा नहीं हो रही. याद करिये इस एप्प को लेकर क्या-क्या दावे किये गये थे. दावा करने वाले कौन लोग थे. आपके पड़ोसी भी उसमें शामिल थे. हालांकि पहले दिन से ही एप्प को लेकर सवाल उठ रहे थे.
इस बार जब कोरोना पीक पर है, न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस एप्प का नाम ले रहे हैं और ना ही हमेशा गंभीरता व जिम्मेदारी से बोलने वाले रविशंकर प्रसाद. पिछली बार दोनों दिन में एक बार जरूर इस एप्प का नाम लेते थे.
समर्थकों की हालत तो पहले से ही पुतला खेल वाली है. जब तक डोर ना खींची जाये, उनके हलक से आवाज ही नहीं निकलती. तो क्या अरोग्य सेतु एप्प इस बार कोरेंटाइन हो गया? या फिर पिछले साल इस एप्प के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर किसी ने करोड़ों भारतीयों की सूचनाएं (डाटा) हासिल कर लीं.
इस बार एक औऱ बात की चर्चा नहीं हो रही है. वह है आयुष्मान योजना और मोदीकेयर की. पिछली बार केंद्र सरकार इस योजना को लेकर खूब ढोल पीट रही थी. तो क्या गरीबों को इलाज के लिए बनी यह योजना भी कोरोना की चपेट में आ गयी है.
तो क्या यह मान लेना चाहिये कि आयुष्मान योजना, मोदी केयर और आरोग्य सेतु एप्प लाने और सत्ता शीर्ष के द्वारा इसका जोरशोर से प्रचार करने के पीछे मकसद जनता की भलाई नहीं थी. कुछ और ही था. पूरा होने के बाद इनका कोई नाम भी नहीं ले रहा.
यही हाल पीएम केयर फंड का है. कितना फंड आया. कहां खर्च किया गया. किसी को नहीं पता. आज स्थिति यह है कि सरकार के पास ना तो पर्याप्त अस्पताल हैं. ना अस्पतालों में पर्याप्त बेड है. और ना ही पर्याप्त दवाई व टीके.
एक बार सोचिये, यह हालात क्यों है. सोचने पर ही समझ में आयेगा कि मोदी सरकार आत्ममुग्धता की शिकार है. गौर करने पर समझ में आता है कि पिछले एक साल में मोदी सरकार ने क्या किया. बस चुनाव लड़ा. अब भी वही कर रही है. चुनाव लड़ रही है. कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिये कोई तैयारी नहीं की.

बहुसंख्यकों का वोट के लिए कुंभ मेला होने दे रही है. जहां लाखों लोग रोज पहुंच रहे हैं. ऐसा होने देने वाली सरकार और राजनेता एक तरह से देश के लोगों की जिंदगी से खेलने का काम कर रहे हैं. ये वही सरकार और नेता हैं, जिन्होंने तबलीगी जमात को लेकर क्या-क्या कहा था, उसे आज याद करने की जरूरत है.

