Lagatar Desk: भारत के उपप्रधानमंत्री रहे बाबू जगजीवन राम की पुण्यतिथि पर मंगलवार को उन्हें याद किया गया. बाबू जगजीवन राम समतामूलक समाज के शिल्पी थे. उन्होंने स्वाधीनता की लड़ाई के साथ गरीब, मजलूम, शोषित और वंचित समाज को समाज की मुख्यधारा में लाने का कार्य किया. जिसे भुलाया नहीं जा सकता. बाबू जगजीवन राम गांव-गरीब, खेत-खली के नेता थे. बाबू जगजीवन राम के राजनीतिक जीवन का आगाज कलकता से ही हुआ. जहां छह महीनों के भीतर ही उन्होंने विशाल मजदूर रैली का आयोजन किया, जिसमें भारी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया. उनका संसदीय कार्यकाल बहुत लंबा रहा है. बाबू जगजीवन राम 28 साल की उम्र में ही 1936 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने थे. जब गवर्नमेंट आफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत 1937 में चुनाव हुए, तो बाबूजी डिप्रेस्ड क्लास लीग के उम्मीदवार के रूप में निर्विरोध एमएलए चुने गए. बाबू जगजीवन राम को आधुनिक भारत के शिखर पुरुषों में गिना जाता है. बेहद सफल ये राजनेता किसी समय प्रधानमंत्री पद तक के दावेदार थे, हालांकि नाटकीय घटनाओं के चलते वे यहां तक नहीं पहुंच सके.