Bhopal: मध्यप्रदेश विधानसभा में अब सदस्य पप्पू, फेंकू, बंटाधार, चोर, झूठा, मूर्ख जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे. ऐसे कई असंसदीय शब्दों की सूची विधानसभा सचिवालय तैयार कर रहा है. नौ अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र के पहले सदस्यों को यह सूची उपलब्ध कराई जाएगी. उनसे अपेक्षा रहेगी कि इनका इस्तेमाल कार्यवाही के दौरान न करें. करीब 1500 असंसदीय शब्दों की एक सूची मध्यप्रदेश विधानसभा ने बना ली है. ज्यादातर वे शब्द हैं जो पहले सदन की कार्यवाही से विलोपित हो चुके हैं. मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने कहा कि कई बार उत्तेजना में माननीय सदस्य ऐसे शब्दों का प्रयोग कर देते हैं, जो आम नागरिक और सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं होता है. ऐसे शब्द बाहर भी आम बोलचाल में नहीं बोलते हैं, लिहाजा शब्द कई बार कार्यवाही से निकाल दिये जाते हैं. उनका संकलन किया गया है.
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असंसदीय शब्दों का कोष बनाने का स्वागत
उन्होंने कहा अभी मार्च तक जो सत्र हुआ है उसका पूरा संकलन निकालकर अध्यक्ष असंसदीय मानकर विलोपित कर देते हैं, जो उनके विवेक पर होता है. उस दृष्टि से एक संकलन बनाया गया है. ये माननीय अध्यक्ष का निर्देश था. कुल मिलाकर कोशिश है कि विधायक विधानसभा में अब अपनी बात रखने वक्त शब्दों के चयन और भाषा की मर्यादा का ध्यान रखें, विधानसभा में शब्दों की आचार संहिता लगने पर दोनों दलों के अपने तर्क हैं. कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा मध्यप्रदेश विधानसभा ने वो शब्द जो सामाजिक मर्यादाओं को तार तार करते हैं उनके निकालने की पहल की है वो स्वागत योग्य है मैं मानता हूं कि जनप्रतिनिधियों का एक परिवार होता है वो समाज को संदेश भी देता है तो विधानसभा का ये कदम स्वागतयोग्य है हमें आत्मसात करना चाहिये.
वहीं कैबिनेट मंत्री अरविंद भदौरिया ने कहा मध्यप्रदेश की विधानसभा का इतिहास रहा है परस्पर संवाद और मित्रता है. लोग लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में बैठते हैं, तो ऐसे शब्दों का प्रयोग होना चाहिये जो जनता को सुखकर लगे, हम इसका स्वागत करते हैं. विधानसभा की बैठकों में सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के दौरान असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हैं. इस पर कई बार विधानसभा अध्यक्ष को अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए ऐसे शब्दों को कार्यवाही से बाहर करना पड़ता है, लेकिन अब शायद इसकी जरूरत ही ना पड़े.