Nirsa: प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली का धंधा पश्चिम बंगाल से लेकर कई राज्यों तक फैला हुआ है. कई स्तरों पर इसकी वसूली होती है. पूरे साल यह कारोबार परवान पर होता है. झारखंड पश्चिम बंगाल की सीमा से बिहार तक स्थानीय एजेंट काम करते रहते हैं, जो थाना सहित बड़े बड़े अधिकारियों को भी मैनेज करते हैं. इनकी बदौलत डंके की चोट पर पूरे साल यह कारोबार चलता रहता है.
सूचना के मुताबिक थाई मांगुर मछली के लिए पश्चिम बंगाल का एजेंट झारखंड के एजेंट के संपर्क में रहता है. सीमावर्ती क्षेत्र में स्थानीय एजेंट भी होते हैं. जो विभिन्न तरह की बिल्टी जैसे मां कल्याणेश्वरी रोडवे, मां काली रोडवेज या हाईवे रोडवेज के नाम से पर्ची छपवा कर संचालकों को दे दिया है और उसकी बदौलत वे बेरोकटोक अपने गंतव्य तक चले जाते हैं. उन्हें पुलिस भी नहीं पकड़ती. क्योंकि इसकी कट सब तक पहुंचती है.
गाहे-बगाहे मछली ले जा रहा वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो जाता है तो सारा खेल उजागर हो जाता है, वरना यह धंधा कभी मंदा नहीं होता. राजद के वरिष्ठ नेता तारापदो धीवर ने राज्य सरकार सहित जिला प्रशासन से मांग की है कि किसी भी कीमत पर प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली को झारखंड में प्रवेश नहीं होने दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस धंधे रोकने के लिए वह काम करेंगे.
यह भी पढ़ें : भौंरा में मारपीट के बाद बमबाजी, आरोपी घूम रहा छुट्टा