Jamtara: कोरोना काल में जामताड़ा में बाल दाढ़ी बनाकर गुजारा करने वाले नाई समुदाय आफत में हैं. लॉकडाउन में बंदी से उनका रोजागर बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पिछले साल और इस साल हुए लॉकडाउन ने इस समुदाय की कमर तोड़ कर रख दी है. लॉकडाउन में उनका सैलून काफी समय से बंद है.
जामताड़ा प्रखंड के भालगढ़ा गांव में काफी संख्या में नाई परिवार रहते हैं. वे पूरी तरह से इसी पेशे पर निर्भर हैं. नाई रमेश भंडारी का कहना है कि पिछले साल जब लॉकडाउन लगा था तो उम्मीद थी कि इस बार हालात बदलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए प्रशासन से मांग है कि हमलोगों की मदद की जाय ताकि संकट काल में गुजारा हो सके. बता दें कि नाई समुदाय का मुख्य पेशा बाल बनाना है. इसी से उनकी आय होती है. पिछले साल हुए लॉकडाउन ने इनके जीवन को तबाह कर दिया था. सैलून पूरी तरह बंद हो गया था. इससे आमदनी भी बंद हो गई थी.
लेना पड़ रहा कर्ज
सैलून संचालकों का कहना है कि 2020 के अंतिम महीनों में लॉकडाउन हटने के बाद इन लोगों को राहत मिली थी. किसी तरह सैलून खुल गया था और काम शुरू हो गया था. जीवन पटरी पर लौट रही थी, लेकिन करोना महामारी के दूसरे चरण ने फिर से संकट में डाल दिया. कहा कि सरकार द्वारा दो वक्त का भोजन तो मिल रहा है, लेकिन अन्य जरूरतों के लिए कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है.
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किराया देना कठिन
नाई समुदाय के लोगों का मानना है कि अब तो भगवान ही उनका सहारा है. वैसे जामताड़ा में सिर्फ नाई समुदाय ही नहीं, बल्कि कई दूसरे समुदायों की हालत भी गंभीर है. कई लोग महीनों से घर का किराया नहीं दे पा रहे हैं. उधार में राशन लेकर घर चला रहे हैं. दुकानों में काम करने वालों से लेकर सड़क पर सामान बेचने वाले सभी चिंतित हैं.
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