एमआईएस के मुताबिक बरही प्रखंड में 27,00,48000 रुपये की लागत से कुल 22, 504 शौचालय का निर्माण हुआ
सोशल मोबिलाईजर ने रिपोर्ट की है कि 15,04,92,000 रु. की लागत से मात्र 12,041 शौचालय का निर्माण हुआ.
आंकड़ों में 12, 55, 56000 रुपए के 10,463 शौचालयों के निर्माण में एक बड़ा अंतर साफ दिखता है.
करीब 3,750,000 रुपये की लागत से कुल 15 सामुदायिक शौचालय का भी हुआ है निर्माण.
Jaideep Kumar Sinha
Barhi (Hazaribagh) : 2 अक्टूबर 2014 को देशभर में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की शुरुआत हुई थी. इसके तहत 2 अक्टूबर 2019 तक देश के प्रत्येक पंचायत को ओपन डिफेक्शन फ्री (ओडीएफ) अर्थात खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया था. सरकारी स्तर पर हजारीबाग का बरही प्रखंड 31 जुलाई 2018 को ओडीएफ घोषित हो गया. प्रखंड के सभी 20 पंचायतों में ओडीएफ का बोर्ड लग गया. सरकार ने इसे अपनी कामयाबी बतायी. अफसरों की पीथ थपथपायी. पर सच क्या है. बिल्कुल उल्टा. खुद सरकारी आंकड़े ही ओडीएफ घोषणा पर सवाल खड़ा कर रहा और संदेह पैदा कर रहा कि गड़बड़ी है. प्रखंड में आप घूमेंगे तो लोग आज भी सुबह में बाहर शौच करने जाते दिखते हैं. शौकिया तौर पर या आदत की वजह से नहीं, बल्कि मजबूरी की वजह से.
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15 में से 12 पंचायत में नहीं बने शौचालय
प्रखंड को ओडीएफ बनाने के लिए एसबीएम, मनरेगा व 14वीं वित्त के तहत शौचालय निर्माण का काम शुरू किया गया था. 14वीं वित्त कोर्डिनेटर विजय कुमार ने बताया कि प्रखंड में कुल 15 स्वीकृत सामुदायिक शौचालय बनाने थे. बरही पूर्वी, बरही पश्चिमी, बरसोत, कोनरा, भंडारो, डपोक, मलकोको, केदारुत, दुलमहा, करियातपुर, धनवार और कोल्हुआकला सहित कुल 12 पंचायतों में करीब ढाई लाख की लागत से शौचालय निर्माण कराया गया. मनरेगा योजना की बजट से प्रति शौचालय 82,315 रुपये जारी किया गया. जमीन के विवाद के कारण रानीचुआं, खोड़ाहर और विजैया में शौचालय का निर्माण नहीं कराया जा सका.
आंकड़ों में बड़ा अंतर
सोशल मोबिलाईजर लता देवी ने बताया कि 12,20,4000 रु. की लागत से 1017 एलओबी (लेट आउट बेनिफिशियरी), 12,86,4000 रु. की लागत से 1072 एनओएलबी (नंबर ऑफ लेट बिनिफिशियरी), और एमआईएस में 11,94,24,000 की लागत से 9952 शौचालय का निर्माण दिखाया गया है. वहीं 37,50,000 की लागत से 15 सामुदायिक शौचालय का भी निर्माण किया गया. लेकिन एमआईएस डाटा के आधार पर सिर्फ एसबीएम के तहत प्रखंड के बरही पूर्वी में 798, बरही पश्चिमी में 502, बरसोत में 840, पंचमाधव में 1028, बेन्दगी में 824, भंडारो में 1454, विजैया में 742, डपोक में 1586, धनवार में 1037, दुलमहा में 1186, गौरियाकरमा में 1324, करियातपुर में 741, करसो में 587, केदारुत में 1359, कोनरा में 945, मलकोको में 1418, रानीचुआं में 905 और रसोइयाधमना में 898 कुल मिलाकर 22,504 शौचालय निर्माण कराए गए हैं. जिसमें 27,00,48,000 रु. की लागत आई है. इस प्रकार एमआईएस डाटा और सोशल मोबिलाईजर के आंकड़े में भारी अंतर है. 12, 55, 56000 रुपए के 10,463 शौचालय कम हैं. जमीनी आंकड़े इससे भी कम हैं. उल्लेखनीय है कि एसबीएम के तहत प्रति शौचालय 12000 रुपए आवंटित है.
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सही आंकड़ा गायब
शौचालय निर्माण से सबंधित आंकड़ा न तो प्रखंड कार्यालय में उपलब्ध है और न ही सोशल मोबिलाईजर के पास. यहां तक कि कई ग्राम प्रधानों को भी इसकी पूरी जानकारी नहीं है. लाभुक के करीब रहने वाले वार्ड सदस्य को भी या तो सच्चाई मालूम नहीं है अथवा बताने से कतराते हैं.
करियातपुर पंचायत का सर्वेक्षण
सर्वेक्षण के मुताबिक करियातपुर पंचायत के बभनाडीह के 40 में 20, गडलाही के 200 में 18, दुधपनिया के 210 में 76, पिपराघोघर के 250 में 50, सलोन के 100 में 7 व करियातपुर में 450 में से 128 परिवार को एसबीएम में तहत शौचालय मिलने के डाटा है. जबकि पूर्व मुखिया के अनुसार कुल 696 लोगों को शौचालय निर्गत किए एमआईएस के अनुसार कुल 742 परिवार को शौचालय दिया गया है. आंकड़ों के अनुसार 46 शौचालय कम हैं. जबकि स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे पंचायत में करीब 350 शौचालय ही देखने को मिले. इस प्रकार एमआईएस के डाटा के अनुसार कुल 391 शौचालय कम है.
जमींदोज होने लगे शौचालय
जिन ग्रामीणों के घर में शौचालय बनाया गया, वह अब परेशान हैं. शौचालय जमींदोज होने लगे हैं. लाभुकों के मुताबिक कम मोटाई के सरिया व कम सीमेंट से निर्मित शौचालय टूटने लगे हैं. शौचालयों में कहीं दरवाजा, तो कहीं छत ही नहीं है. कुछ ने खुद का पैसा मिलाकर शौचालय को ठीक कराया है.
प्रखंड कार्यालय में आंकड़ा नहीं : बीडीओ
बरही प्रखंड के बीडीओ क्रिस्टीना रिचा इंदीवर ने बताया कि यह योजना उनके कार्यकाल की नहीं हैं. उन्होंने सोशल मोबिलाईजर व हेड क्लर्क से जानकारी मांगी है. लेकिन उन लोगों ने स्पष्ट बताया कि इससे संबंधित कोई भी डाटा (आंकड़ा) प्रखंड कार्यालय में नहीं है.
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