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गर्व कीजिए कि लोकतंत्र यदि सुंदर चीज है तो आप इसके खात्मे के गर्वीले दर्शक हैं

Krishna Kant मीडिया का बड़ा हिस्सा गोदी मीडिया में तब्दील हो गया है, फिर भी हर तरफ सरकार के निशाने पर मीडिया क्यों है? किसी भूखे को खाना नहीं मिल रहा है, ये खबर दिखाने पर पत्रकार पर केस दर्ज करने वाले दावा कर रहे हैं कि हमारी डेमोक्रेसी सबसे उम्दा और आलोचना से परे है. ऐसे में आपके पास गर्व करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचता है. आप गर्व कीजिए कि मीडिया पर लगातार">https://lagatar.in/">लगातार

 सरकारी हमला तेज किया जा रहा है ताकि सरकारी कारस्तानियों की खबर जनता तक न पहुंचे. सरकार की आलोचना करने वाली वेबसाइट न्यूजक्लिक">https://hindi.newsclick.in/">न्यूजक्लिक

के दफ्तर और पत्रकारों के घर पर ईडी की छापेमारी. कड़कती ठंड में बच्चों को हाफ पैंट पहनाकर योग कराने की रिपोर्ट कराने वाले पत्रकारों पर एफआईआर. किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों पर कई राज्यों में केस, राजद्रोह का भी आरोप. किसान आंदोलन रिपोर्ट करने के लिए">https://thewirehindi.com/">

द वायर
और सिद्धार्थ वरदराज पर मुकदमा. किसान आंदोलन रिपोर्ट करने के लिए कारवां">https://caravanmagazine.in/">कारवां

मैगजीन
पर मुकदमा. किसान आंदोलन रिपोर्ट करने के लिए युवा पत्रकार मनदीप पुनिया को जेल. किसान आंदोलन रिपोर्ट करने के लिए पत्रकार धर्मेंद्र को पूछताछ के लिए उठाया गया. हाथरस केस कवर करने जा रहे पत्रकारों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया. मिड-डे">https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%A8_%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8_%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%BE">मिड-डे

मील
में धांधली दिखाने वाले पत्रकार पर केस. ये महज कुछ उदाहरण हैं कि भारत में प्रेस पर कैसे संगठित ढंग से हमला किया जा रहा है ताकि मीडिया नाम की संस्था गोदी मीडिया में तब्दील हो जाए. डायचे">https://www.dw.com/hi/%E0%A4%96%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82/s-11931">डायचे

वेले
वेबसाइट लिखती है, “प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत को बहुत पीछे यानी 142वें स्थान पर रखा गया है. रिपोर्टर्स विदाउट">https://rsf.org/en/india">विदाउट

बॉर्डर्स
के मुताबिक 2019 में बीजेपी की दोबारा जीत के बाद मीडिया पर हिंदू राष्ट्रवादियों का दबाव बढ़ा है. अन्य दक्षिण एशियाई देशों में नेपाल को 112वें, श्रीलंका को 127वें, पाकिस्तान को 145वें और बांग्लादेश को 151वें स्थान पर रखा गया है.” दशकों के संघर्ष के बाद आजाद हुए देश ने लोकतंत्र को तिल-तिल कर बनते देखा था, अब तिल-तिल कर खत्म होते देख रहा है. लोकतंत्र कोई दूध-भात तो है नहीं कि तुरंत खाकर खत्म कर दिया जाए. लेकिन इसे खत्म करने की प्रक्रियाएं काफी तेजी से जारी हैं. आप गर्व कीजिए कि लोकतंत्र अगर कोई सुंदर चीज है तो आप इसके खात्मे के गर्वीले दर्शक हैं. एक-एक सीढ़ी नीचे उतरते जाइए और गर्व करते जाइए. डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.

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