Ranchi : घंटी आधारित शिक्षकों ने झारखंड सरकार के कैबिनेट के फैसले का विरोध किया है. शिक्षकों का कहना है कि अवधि विस्तार के बजाय सरकार उन्हें स्थायी करे. झारखंड कैबिनेट के फैसले के अनुसार विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों और अंगीभूत महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों के विरुद्ध रिक्त पदों पर घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त शिक्षकों के पैनल की अवधि विस्तार किया गया है. अवधि विस्तार 30 सितंबर 2021 तक किया गया. इसके बाद झारखंड के असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंधित संघ इस फैसले से नाखुश नजर आया और फैसले का विरोध भी किया.
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शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया जाए
झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर संघ के अध्यक्ष निरंजन ने कैबिनेट के फैसले का विरोध करते हुए कहा की झारखंड में सभी विश्वविद्यालय के अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर की अवधि विस्तार की गई है. यह अवधि विस्तार मात्र छह महीने का है, मगर राज्य के तमाम विश्वविद्यालय के ज्यादातर कार्य अनुबंध शिक्षकों पर निर्भर है. इसके बावजूद अनुबंध शिक्षकों को यूजीसी के अनुसार मानदेय नहीं दिया जाता है. संघ सरकार से मांग करती है कि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया जाए. साथ ही अवधि विस्तार के बजाय उन्हें स्थायी किया जाए.
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विश्वविद्यालयों के रिक्त पदों को जल्द भरे सरकार
वहीं, रांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि कैबिनेट का निर्णय सराहनीय है, लेकिन रांची विश्वविद्यालय समेत राज्य के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी बहुत दिनों से है और जितने भी शिक्षक हैं, वह रिटायर्ड होते जा रहे हैं. ज्यादातर विश्वविद्यालय 50% अनुबंध शिक्षकों पर निर्भर है. ऐसे में अनुबंध शिक्षकों को ध्यान में रखते हुए रिक्त पदों को जल्द भरने का काम करे.