Bermo: नियमों की जब अनदेखी की जाती है तो उसका नुकसान जनता के भुगतना पड़ता है. इसका ताजा उदाहरण बोकारो जिले का गोमिया प्रखंड का पंचायत है. इस प्रखंड के अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में मुखिया द्वारा एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने में भारी अनियमितता बरती गई है. लाइट लगाने के लिए सरकार द्वारा गाइडलाइन जारी किया गया है. इसी के तहत बल्ब लगाना है, लेकिन मुखिया ने अपने-अपने पंचायत में लाइट लगाने के दौरान नियमों का पालन नही किया, लिहाजा सड़कों के किनारे लगी लाइट शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. लाइट लगने के कुछ दिन बाद से ही एलईडी बल्ब खराब होना शुरू हो गया.
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खराब हो रहे एलईडी बल्ब
दरअसल 19 मार्च 2019 को ग्रामीण विकास विभाग के पंचायती राज निदेशालय ने राज्य के सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारी को एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए उर्जा मंत्रालय भारत सरकार के अन्तर्गत कार्यरत संयुक्त क्षेत्रीय इइएसएल से मनोनयन के आधार पर पंचायतों में एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का आदेश जारी किया था. लेकिन पंचायती राज पदाधिकारी, पंचायत सेवक एवं मुखिया ने इन निर्देशों का पालन नही किया. नियमों को दरकिनार कर घटिया किस्म का एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाया. इससे लोग परेशान हैं.
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जनता में असंतोष
संविधान की 11वीं अनुसूची के तहत नागरिकों को मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराना पंचायतों का संवैधानिक कर्तव्य है. इसके लिए पंचायत क्षेत्र की सडकों पर लोगों के सुरिक्षत आवागमन के लिए प्रकाश की व्यवस्था की जाती है. इसी के तहत पंचायत के सभी रास्तों पर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने का निर्णय लिया गया.
पंचायत राज निदेशालय ने प्रत्येक पंचायत को एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए तीन लाख अठासी हजार तीन सौ दस रूपया उपलब्ध कराया ताकि सडकें अंधेरे में नही रहे, लेकिन अभी भी गोमिया प्रखण्ड के सभी पंचायतों में एलईडी स्ट्रीट लाइट पूर्ण रूप से नही लगा है. जिन पंचायतों में एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाया गया है, उसमें आधा से अधिक खराब हो चुका है. कहा जाता है कि निदेशालय का आदेश था कि इइएसएल के माध्यम से ही लाइट लगाने का कार्य किया जाय, लेकिन पंचायत प्रतिनिधि ने इइएसएल के नियमों को ताक पर रखकर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाया. जिला पंचायती राज पदाधिकारी राज शेखर ने कहा कि पंचायत के मुखिया किसी कंपनी की लाइट लगाने के लिए स्वतंत्र है. इसके अलावा कितनी लाइट लगायी गयी है, हमें इसकी जानकारी नहीं है.
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