Bermo : झारखंड के मोस्ट वांटेड इनामी नक्सली मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन महतो ने एक बार फिर आत्मसमर्पण कर दिया है. जानकारी के मुताबिक गोमिया के झुमरा पहाड़ के तलहटी में बसे असनापनी गांव से पिछले 15 जनवरी को मिथिलेश सिंह ने अपनी पत्नी ननकी उर्फ सुजाता के साथ सरेंडर किया है. हालांकि पुलिस इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार कर रही है. लेकिन इस बात का खुलासा भाकपा माओवादी के उत्तरी छोटानागपुर जोनल कमेटी की ओर से पर्चा जारी कर किया गया है.
2003 में भी हुई थी गिरफ्तारी
20 साल पहले साल 2003 में धनबाद जिला के तोपचांची से मिथिलेश की गिरफ्तारी हुई थी. लेकिन चर्चा थी कि उस समय भी उसने आत्मसमपर्ण किया था. दस साल तक जेल में रहने के बाद 2013 में उसकी रिहाई हुई थी. इसके बाद दोबारा जंगल की राह पकड़ ली और लगातार पार्टी का खोया हुआ जनाधार मजबूत बनाने में जुटा था. पिछले दिनों उसके सहयोगी कारू यादव की गिरफ्तारी मुंबई से हुई है. इसके बाद गिरिडीह से कृष्णा हांसदा की गिरफ्तारी हुई.
भाकपा माओवादी ने मिथिलेश सिंह को किया गद्दार घोषित
भाकपा माओवादी के उतरी छोटानागपुर जोनल कमेटी ने मिथिलेश सिंह उर्फ दुर्योधन महतो को गद्दार घोषित किया है. इसे लेकर एक पर्चा भी जारी किया है. जिसमें कहा है कि एक बार फिर मिथिलेश सिंह ने पार्टी के साथ गद्दारी की है और अपनी पत्नी सुजाता के साथ भाग गया है. साथ में पार्टी के 52 लाख 77 हज़ार रुपये, 83 हज़ार का एक टेबलेट स्क्रीन टच मोबाइल सहित अन्य उपकरण लेकर भाग गया है. पिछली बार भी इसी तरह की गद्दारी की थी. लेकिन काफ़ी आरजू मिन्नत करने के बाद उसे पार्टी में लिया गया था और पार्टी सम्मेलन में फिर से जवाबदेही दी गई थी, लेकिन एक बार फिर गद्दारी की है. पर्चा में लिखा गया है कि लेवी का पैसा गुप्त रूप से अपने सगे भाई अर्जुन महतो को भेजता था.
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