LagatarDesk: भाई दूज जिसे यम द्वितीया और भद्रात्रि द्वितीया भी कहा जाता है. यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनायी जाती है. मान्यता के अनुसार, यम देव की जो उपासना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इसे अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. नेपाल में इसे भाई तिहार, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और कर्नाटक में भाऊ बीज, पश्चिम बंगाल में भाई फोटा नामों से जाना जाता है.
भाई दूज का त्योहार सोमवार को मनाया जायेगा. इस पर्व के साथ पंच दिवसीय दीपोत्सव का भी समापन हो जायेगा. रक्षाबंधन की तरह यह त्योहार भी भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. इसमें बहनें अपने भाइयों के लिए सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं. यह पर्व सदियों से चले आ रहे परंपराओं पर आधारित है.
इसे भी पढ़ें:प्रोत्साहन पैकेज का नहीं होगा कोई असर, लोक कल्यान हो सकता भारत के लिए फायदेंमंद
यमराज ने दिया था यमुना को वरदान
भाई दूज पर्व के पीछे की कहानी सूर्यदेव और छाया के पुत्र-पुत्री यमराज और यमुना से संबंधित है. यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से निवेदन करती थी कि वे उनके घर आकर भोजन करें. यमराज ने सोचा कि मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाना चाहता क्योंकि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. इसलिये यमराज हमेशा व्यस्त रहने का बहाना बनाकर यमुना की बात को टाल देते थे. लेकिन एक दिन यमराज ने सोचा की जिस सद्भावना से मेरी बहन मुझे बुला रही हैं, उसका पालन करना मेरा धर्म है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को यमुना अपने घर के दरवाजे पर अपने भाई यमराज को खड़ा देखकर खुश हो जाती हैं. अपने भाई का स्वागत कर वह उसे भोजन कराती है. यमदेव अपनी बहन के प्रेम को देखकर बहुत खुश हो जाते हैं और खुशी से यमदेव यमुना को कोई भी वर मांगने को कहते हैं. तब यमुना ने अपने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएं और इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका लगाकर भोजन खिलाएं उसे आपका भय न रहे. फिर यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमलोक चले गए. मान्यता है कि इस दिन के दिन जो भाई पूरी श्रद्धा से अपनी बहन के मेहमाननवाजी को स्वीकार करता है, उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है. इसी के उपलक्ष्य पर भाई दूज का पर्व मनाया जाता है.
इसे भी देखें: