Hazaribagh : 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष पूरा हो रहा है. आरएसएस की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी. आगामी आने वाले वर्षों में देश का एक प्रतिशत ग्रामीण आबादी और तीन प्रतिशत शहरी आबादी को संघ से जोड़ना है. इसी योजना के तहत रविवार को जिले के 55 स्थानों पर आरएसएस ने भारत माता पूजन उत्सव का आयोजन किया. करीब आठ हजार नए स्वयंसेवक पूजन में शामिल हुए और हिंदू न पतितो भव: हिंदू सहोदरा का संकल्प लिया.
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आरएसएस के उद्देश्य की दी गई जानकारी
समारोह का आयोजन शहरी क्षेत्र के मासीपीढ़ी से लेकर कटकमसांडी के सुदूरवर्ती शाहपुर पंचायत के टिंबल बांध, बड़कागांव, केरेडारी, इचाक, टाटीझरिया, सदर प्रखंड, दारु और विष्णुगढ़ के विभिन्न प्रखंड मुख्यालयों और पंचायतों में किया गया. इस दौरान संघ की शाखा लगी, खेलकूद का आयोजन हुआ और संघ के उ्द्देश्य और लक्ष्य की जानकारी दी गई. कटकमसांडी के टिबलबांध में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य वक्ता हजारीबाग विभाग प्रचार प्रमुख अरविंद राणा, आरएसएस के सदर खंड पालक सह प्रदेश संयोजक जैविक प्रकोष्ठ अनूप भाई वर्मा तथा मुख्य अतिथि के नाते जिला सह संघ चालक डा. ताराकांत शुक्ल शामिल हुए.
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भारत मानव जाति के प्रेरणा का केंद्र रहा है : डॉ शुक्ल
मुख्य अतिथि सह जिला सह संघ चालक डॉ. ताराकांत शुक्ल ने कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो सदियों से विश्व में मानव जाति के लिए प्रेरणा का केंद्र रहा है. भारत ने विश्व की सुख-समृद्धि की कामना की. भारत ने ज्ञान-विज्ञान की गंगा बहाई, जिस कारण यह विश्व गुरु कहलाया. भारत कृषि और व्यापार के क्षेत्र में अत्यंत समृद्ध रहा है. आर्थिक संपन्नता के कारण ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में भारत ने विश्व को अनेक अमूल्य योगदान दिया. खगोल विज्ञान, नौकायन, वायुयान, आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा, आदि अनेक क्षेत्रों में भारत का विकसित ज्ञान आज भी उपलब्ध है. भारत हिंदू राष्ट्र है और शक्ति से ही कार्य संभव है.
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